झारखंड केरौ इंजीनियरिंग टीम नँ करलकै बरमसिया गामौ के जीवाश्म-चट्टान केरौ नापी-जोखी | Angika Language News
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दुमका 10 नवंबर,2023।
कृषि मंत्री बादल पत्रलेख केरौ निर्देश प आय जरमुंडी प्रखंड स्थित बरमसिया गाँव मँ जीवाश्म-चट्टान केरौ संरक्षण वास्तें नेशनल रूरल इम्पलाइजमेंट प्रोग्राम (एन आर ईपी) के कार्यपालक अभियन्ता हिमांशु हूरड अपनौ टीमो साथें पहुँचलै आरू चट्टानौ के मापी करवैलकै। एगो विशाल सरकारी भूखंड सँ जुड़लौ ई जीवाश्म-चट्टान 2500 वर्गमीटर सँ भी बेसी क्षेत्रफल मँ फैललौ छै । जेकरा मँ जीवाश्मरूप मँ विशालकाय मानवौ के पदछाप सब, हिरण के खुरौ सब के छाप, दुर्लभ प्रजाति केरै मछरी, पक्षी आरनि नाना प्रकार के जीव-जन्तु समाहित छै। चट्टान एगो छोटो रकम के नद्दी के किनारे पर छै आरू सामने मँ छै महाबला नामक पहाड़ केरौ नयनाभिराम दृश्य, जे लोगो सिनी क आकर्षित करै छै।
कार्यपालक अभियन्ता केरौ टीम के साथ ई चट्टान के खोजकर्ता दुमका केरौ पुरातत्वविद् पंडित अनूप कुमार वाजपेयी भी पहुँचलौ रहै । मौका पर मौजूद ग्राम प्रधान फणीभूषण राय आरू सामाजिक कार्यकर्ता कामदेव राय समेत लगीच गामो सिनी के ग्रामीण मौजूद छेलै। ग्राम प्रधान द्वारा कार्यपालक अभियन्ता क सम्बन्धित जग्घौ केरौ नक्शा-पर्चा देखैलौ गेलै।
कृषि मन्त्री बादल पत्रलेख नँ कहलकै कि विश्व केरौ आपनौ तरह के इकलौता ई जीवाश्म-चट्टान के साथ-साथ सात एकड़ सँ अधिक भूभाग केरौ जल्द ही घेराबन्दी करलौ जैतै । मूलभूत सुविधा सँ सुसज्जित वैन्जाँ पार्क केरौ निर्माण करलौ जैतै। वू दिन दूर नै, जबै देश-विदेश के शोधकर्ता सिनी क ई स्थल आपनौ दन्नै आकर्षित करतै।
Executive Engineer of National Rural Employment Program (NREP) Himanshu Hurad along with his team and Pandit Anup Kumar Bajpai |
मंत्री नँ कहलकै कि पर्याटन विभाग केरौ ध्यान भी इ दुर्लभ चट्टान दन्नें आकृष्ट करलौ गेलै छै। हुनी कहलकै, "एक ही चट्टान पर नाना प्रकार के जीवाश्म सब के मिलना एगो ऐतिहासिक घटना छेकै। ग्यारह साल पहलें जोन चट्टान क खोजी क पंडित वाजपेयी नँ किताब लिखी क आरू अन्य माध्यमों सँ भी सरकार केरौ ध्यानाकर्षण करतें आबी रहलौ छै, विश्वास छै ई चट्टान देश केरौ अनमोल धरोहर सिद्ध होतै। देश-विदेश केरौ पर्यटक जबअ यहाँ आबै लगतै त लगीच केरौ लोगो सिनी क रोजगार भी मिलतै, क्षेत्र केरौ अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ होतै। ई जीवाश्म-चट्टान सुप्रसिद्ध तीर्थस्थल बासुकीनाथ सँ मात्र 17 किलोमीटर प अवस्थित छै।"
झारखंड की इंजीनियरिंग टीम ने किया बरमसिया गाँव स्थित जीवाश्म-चट्टान की नापी-जोखी
दुमका 10 नवंबर,2023।
कृषि मंत्री बादल पत्रलेख के निर्देश पर आज जरमुंडी प्रखंड स्थित बरमसिया गाँव में जीवाश्म-चट्टान के संरक्षण के लिये नेशनल रूरल इम्पलाइजमेंट प्रोग्राम (एन आर ईपी) के कार्यपालक अभियन्ता हिमांशु हूरड अपनी टीम के साथ पहुँचे और चट्टान की मापी करवाई। एक विशाल सरकारी भूखंड से संलग्न यह जीवाश्म-चट्टान 2500 वर्गमीटर से भी अधिक क्षेत्रफल में फैली है, जिसमें जीवाश्मरूप में विशालकाय मानवों की पदछापें, हिरण के खुर की छापें, दुर्लभ प्रजाति की मछली, पक्षी आदि नाना प्रकार के जीव-जन्तु समाहित हैं। चट्टान एक छोटी नदी के किनारे है और सामने है महाबला नामक पहाड़ का नयनाभिराम दृश्य, जो लोगों को आकर्षित करता है।
कार्यपालक अभियन्ता की टीम के साथ इस चट्टान के खोजकर्ता दुमका के पुरातत्वविद् पंडित अनूप कुमार वाजपेयी पहुँचे थे। मौके पर मौजूद ग्राम प्रधान फणीभूषण राय और सामाजिक कार्यकर्ता कामदेव राय समेत आस-पास के ग्रामीण मौजूद थे। ग्राम प्रधान द्वारा कार्यपालक अभियन्ता को सम्बन्धित स्थल का नक्शा-पर्चा दिखाया गया।
कृषि मन्त्री बादल पत्रलेख ने कहा कि विश्व की इकलौती इस जीवाश्म चट्टान सहित सात एकड़ से अधिक भूभाग की जल्द ही घेराबन्दी की जायेगी। मूलभूत सुविधाओं से सुसज्जित वहाँ पार्क निर्माण किया जायेगा। वह दिन दूर नहीं जब देश-विदेश के शोधकर्ताओं को यह स्थल अपनी ओर आकर्षित करेगा।
मंत्री ने कहा कि पर्याटन विभाग का ध्यान भी इस दुर्लभ चट्टान की ओर आकृष्ट किया गया है। उन्होंने कहा " एक ही चट्टान पर नाना प्रकार के जीवाश्मों का मिलना एक ऐतिहासिक घटना है। ग्यारह साल पहले जिस चट्टान को खोजकर पंडित वाजपेयी पुस्तकें लिखकर एवं अन्य माध्यमों से सरकार का ध्यानाकर्षण करते आ रहे हैं, विश्वास है यह चट्टान राष्ट्र की अनमोल धरोहर सिद्ध होगी। देश-विदेश के पर्यटक जब यहाँ आने लगेंगे तो आस-पास के लोगों को रोजगार मिलेगा, क्षेत्र की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी। इस चट्टान की दूरी सुप्रसिद्ध तीर्थस्थल बासुकीनाथ से मात्र 17 किलोमीटर है।"
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ENGLISH LANGUAGE VERSION
Jharkhand Engineering team measured fossil rock located in Barmasia village
Dumka November 10, 2023.
Today, on the instructions of Agriculture Minister Badal Patralekh, Executive Engineer of National Rural Employment Program (NREP) Himanshu Hurad along with his team reached Barmasia village in Jarmundi block for the conservation of fossil rocks and got the rock measured. Attached to a huge government plot, this fossil rock is spread over an area of more than 2500 square meters, which contains fossilized footprints of giant humans, hoof prints of deer, rare species of fish, birds etc. and various types of animals. The rock is on the banks of a small river and has a panoramic view of a mountain called Mahabala, which attracts people.
The archaeologist of Dumka, Pandit Anup Kumar Bajpai, the discoverer of this rock, had reached with the team of executive engineer. The Village head Phanibhushan Rai and social worker Kamdev Rai and nearby villagers were present on the spot. The village head showed the map of the concerned site to the executive engineer.
Agriculture Minister Badal Patralekh said that more than seven acres of land including this world's only fossil rock will soon be cordoned off. A park equipped with basic facilities will be constructed there. The day is not far when this place will attract researchers from India and all across the world.
The Minister said that the attention of the Tourism Department has also been drawn towards this rare rock. He said, "Finding different types of fossils on the same rock is a historical event. Pandit Anup Kumar Bajpai, who has discovered this fossil rock eleven years ago has been drawing the attention of the government through writing books and through other means. We believe that this rock will prove to be a priceless heritage of the nation. When tourists from India and abroad start coming here, people nearby will get employment and the economy of the area will be strengthened. The distance of this rock is only 17 kilometers from the famous pilgrimage site Basukinath".
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