Angika | दुमका केरो महाबला पहाड़ के घाटी मँ घघाजोर के करगी प खोजलो गेलै 30 करोड़ साल सँ भी पुरानो विशालकाय मछली केरो जीवाश्म | Angika.com
Eminent archaeologist Pandit Anoop Kumar Bajpai, who discovered the fossil of a giant fish contained in the rock of Mahabala mountain valley of Barmasia under Jarmundi block of Dumka district of Ang Pradesh region of eastern India, has told it to be more than 300 million years old.
Angika Version | Hindi Version | English Version
दुमका 24 नवंबर, 2022 । झारखंड राज्य केरो दुमका मँ 30 करोड़ साल सँ भी पुरानो एगो विशालकाय मछली केरो जीवाश्म केरो खोज करलो गेलो छै । पूर्वी भारत केरो प्रसिद्ध पुरात्तवविद् पंडित अनूप कुमार वाजपेयी नँ गत 22 नवंबर 2022 क दुमका जिला केरो जरमुंडी प्रखंड अंतर्गत बरमसिया केरो महाबला पहाड़ केरो घाटी स्शित एगो चट्टान मँ समाहित मछली केरो ई जीवाश्म केरो खोज करलै छै । झारखंड सरकार केरो संज्ञान मँ ऐला के बाद, ई जीवाश्म आरू स्थल केरो प्राचीनता आरू ऐतिहासिकता के महत्व क समझतें हुअय एकरो संरक्षण आरू एकरा पर्यटन स्थल के रूप मँ विकसित करै लेली झारखंड सरकार केरो संबंधित विभाग सिनी तुरंत प्रभाव सँ सक्रिय होय गेलो छै ।
पूर्वी भारत केरो अंग प्रदेश क्षेत्र के दुमका जिला केरो जरमुंडी प्रखंड अंतर्गत बरमसिया केरो महाबला पहाड़ केरो घाटी के चट्टान मँ समाहित विशालकाय मछळी केरो ई जीवाश्म के खोज करै वाला प्रसिद्ध पुरात्तवविद् पंडित अनूप कुमार वाजपेयी नँ एकरा 30 करोड़ साल सँ भी जादा पुरानो बतलैले छै ।
अंगिका डॉट कॉम केरो कुंदन अमिताभ सँ बातचीत के क्रम मँ पुरात्तवविद् पंडित अनूप कुमार वाजपेयी नँ बतैलकै कि बरमसिया मँ मिललो ई जीवाश्म चट्टान सँ सट्टी क घघाजोर नाम के एगो पातरो रकम के नद्दी बहै छै । ई लेली ई जीवाश्म चट्टान, घघाजोर चट्टान के नाँव सँ जानलो जाय छै ।
ई सर्वविदित छै कि पुरात्तवविद् पंडित अनूप कुमार वाजपेयी नँ पहिने भी यहे क्षेत्र मँ चट्टान मँ जीवाश्म के रूप मँ समाहित लुक्खी (गिलहरी), हिरण केरो खुर, प्राचीन मानव केरो पदछाप आरनि के खोज करी चुकलो छै । हुनको ई महत्वपूर्ण खोज के बारे मँ झारखंड सरकार भी अवगत छै ।
पुरात्तवविद् पंडित अनूप कुमार वाजपेयी नँ कहलकै कि भूगोल आरू भूगर्भशास्त्र केरो किताब सिनी मँ स्थापित मान्यता के अनुसार संतालपरगना केरो पहाड़ी सिनी राजमहल केरो पहाड़ी के नाँव सँ जानलो जाय छै । जेकरा सथें पहिने कहिय्यो अफ्रीका केरो पहाड़ सटलो छेलै । तखनी धरती केरो स्थलीय भाग बहुत छोटो छेलै । जर्मन भूविज्ञानी अल्फ्रेड वेगेनर केरो अनुसार 30 करोड़ साल पहिने अफ्रीका केरो पहाड़, राजमहल केरो पहाड़ी सँ दूर होय गेलै । ई लेली आय भी राजमहल आरू अफ्रीका केरो पहाड़ सिनी मँ मिलै वाला वनस्पति सब के जीवाश्म केरो प्रकृति एक रकम पैलो जाय छै ।
श्री बाजपेयी के अनुसार अंग प्रदेश क्षेत्र केरो ई सब स्थल के जों संरक्षण करलो जाय त सौंसे दुनिया सँ शोधकर्ता आरू पर्यटक यहाँ आबै सकै छै । कैन्हेंकि ई स्थल धरती प जीवो के क्रमिक विकास प प्रकाश डालै छै । ऐन्जाँ ई उल्लेखनीय छै कि पंडित अनूप कुमार वाजपेयी पुरातत्वविद् मँ महत्वपूर्ण मुकाम हासिल करी क ई क्षेत्र मँ पहिने भी वनस्पति आरू जीव-जंतु सिनी केरो जीवाश्म के खोज करी चुकलो छै ।
दुमका के महाबला पहाड़ की घाटी में घघाजोर के किनारे खोजा गया 30 करोड़ साल प्राचीन विशालकाय मछली का जीवाश्म
दुमका 24 नवंबर, 2022 । झारखंड राज्य के दुमका में 30 करोड़ साल से भी पुराना एक विशालकाय मछली का जीवाश्म खोजा गया है । पूर्वी भारत के प्रसिद्ध पुरात्तवविद् पंडित अनूप कुमार बाजपेयी ने गत 22 नवंबर 2022 को दुमका जिला के जरमुंडी प्रखंड अंतर्गत बरमसिया के महाबला पहाड़ की घाटी में स्थित एक चट्टान में समाहित विशालकाय मछली के जीवाश्म की खोज की है। झारखंड सरकार के संज्ञान में आने के बाद, इस जीवाश्म और स्थल की प्राचीनता और ऐतिहासिकता के महत्व के मद्देनजर इनके संरक्षण और इनके पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने हेतु झारखंड सरकार के संबंधित विभाग तुरंत प्रभाव से सक्रिय हो गए हैं ।
पूर्वी भारत के अंग प्रदेश क्षेत्र के दुमका जिला के जरमुंडी प्रखंड अंतर्गत बरमसिया के महाबला पहाड़ की घाटी के चट्टान में समाहित विशालकाय मछली के इस जीवाश्म की खोज करने वाले प्रसिद्ध पुरात्तवविद् पंडित अनूप कुमार बाजपेयी ने इसे 30 करोड़ साल से भी ज्यादा पुराना बताया है ।
अंगिका डॉट कॉम के कुंदन अमिताभ से बातचीत के क्रम में पुरात्तवविद् श्री बाजपेयी ने बताया कि बरमसिया में मिला इस जीवाश्म चट्टान से सटकर घघाजोर नाम की एक पतली सी नदी बहती है । इसलिए इस जीवाश्म चट्टान को घघाजोर चट्टान के नाम से भी जाना जाता है ।
यह सर्वविदित है कि पुरात्तवविद् पंडित अनूप कुमार बाजपेयी ने पहले भी इस क्षेत्र के चट्टानों में जीवाश्मों के रूप में समाहित गिलहरी, हिरण के खुर, प्राचीन मानव के पदछाप आदि की खोज करी चुके हैं । उनके इन महत्वपूर्ण खोजों के बारे में झारखंड सरकार भी अवगत है ।
पुरात्तवविद् पंडित अनूप कुमार बाजपेयी ने बताया कि भूगोल और भूगर्भशास्त्र की किताबों में स्थापित मान्यता के अनुसार संतालपरगना की पहाड़ियाँ, राजमहल की पहाड़ी के नाम से जाने जाते हैं । इन पहाडियों के साथ पहले कभी अफ्रीका के पहाड़ सटे होते थे । तब धरती के स्थलीय भाग बहुत छोटे होते थे । जर्मन भूविज्ञानी अल्फ्रेड वेगेनर के अनुसार 30 करोड़ साल पहले अफ्रीका के पहाड़, राजमहल की पहाड़ी से दूर हो गए । इसलिए आज भी राजमहल और अफ्रीका की पहाड़ियों में मिलने वाले वनस्पतियों के जीवाश्म की प्रकृति एक सदृश पाई जाती है ।
श्री बाजपेयी के अनुसार अंग प्रदेश क्षेत्र के इन सब स्थलो को अगर संरक्षित कर पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किये जाएँ तो पूरी दुनिया से शोधकर्ता और पर्यटक यहाँ आ सकेंगे । क्योंकि इन स्थलों पर धरती के जीवों के क्रमिक विकास के चिन्हों के अवशेष देखने को मिलते हैं । उल्लेखनीय है कि पंडित अनूप कुमार बाजपेयी पुरातत्वविद् में महत्वपूर्ण मुकाम हासिल कर इस क्षेत्र में पूर्व में भी वनस्पतियों और जीव-जंतु सब के जीवाश्मों की खोज कर चुके हैं ।
Angika Version | Hindi Version | English Version
Fossil of 300 million years old giant fish discovered on the banks of Ghaghajor in Dumka's Mahabala mountain valley
Dumka November 24, 2022. A giant fish fossil more than 300 million years old has been discovered in Dumka, Jharkhand state. Pandit Anoop Kumar Bajpai, an eminent archaeologist of Eastern India, has discovered the fossil of fish contained in a rock located in the Mahabala mountain valley of Barmasia under Jarmundi block of Dumka district on 22 November 2022. After coming in to the notice of the Government of Jharkhand, in view of the importance of antiquity and historicity of this fossil and the site, the concerned departments of the Government of Jharkhand have become active with immediate effect for the conservation and to develop the site as a tourist destination.
Eminent archaeologist Pandit Anoop Kumar Bajpai, who discovered this fossil of a giant fish contained in the rock of Mahabala mountain valley of Barmasia under Jarmundi block of Dumka district of Ang Pradesh region of eastern India, has told it to be more than 300 million years old.
In a conversation with Kundan Amitabh of Angika.com, archaeologist Mr. Bajpai told that a narrow river named Ghaghajor flows adjacent to this fossil rock found in Barmasia. That's why this fossil rock is also known as Ghaghajor rock.
It is well known that archaeologist Pandit Anoop Kumar Bajpai has already discovered squirrels, deer hoofs, ancient human footprints etc. contained in the rocks of this area in the form of fossils. Jharkhand government is also aware of Mr. Bajpai's important discoveries.
Archaeologist Pandit Bajpai told that according to the belief established in the books of Geography and Geology, the hills of Santalpargana are known as the hill of Rajmahal. Earlier the mountains of Africa used to be embodied with these hills. At that time the terrestrial parts of the earth were very small. According to the German geologist Alfred Wegener, 300 million years ago the mountains of Africa separated away from the Rajmahal hill. That's why even today the nature of the fossils found in the Rajmahal and the hills of Africa is found to be similar.
According to Mr. Bajpai, if all these places of Anga region are protected and developed as tourist places, then researchers and tourists from all over the world will be able to come here. Because at these places the remains of the signs of gradual development of the living beings of the earth are seen. It is worth mentioning that Pandit Anoop Kumar Bajpai has achieved an important position in the field of archaeologist and has discovered fossils of all flora and fauna in this area in the past.
Angika Version | Hindi Version | English Version
Fossils, Fish, Ang Civilisation, Ang Civilization, Anga Civilization, Anga Civilisation,अंग सभ्यता, प्राचीनतम सभ्यता, Oldest Civilisation, Oldest Civilization, Ancient Civilization, Ancient Civilisation, Pandit Anup Kumar Bajpai, मछली जीवाश्म
No comments:
Post a Comment