Angika जनम-दिन विशेष | अंग सपूत दिनकर केरौ साहित्य मँ राष्ट्रीय चेतना केरौ स्वर लहराबै छै - by अंशु माला झा 'अंश' | Anshu Mala Jha 'Ansh'
अंग केरौ गौरव राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर जी केरौ जयंती पर हुनका शत-शत नमन करै छियै। हुनको जन्म बेगूसराय केरौ सिमरिया गाँव मँ होलौ छैले। हुनकौ जिनगी बहुत कष्टौ सँ बितलौ रहै। हुनी खालिये गोड़ स्कूल जाय रहै । धिपलौ बालू प बूलै नै सकै छेलै त काठौ केरौ पटरा धरी क बुलै छेलात।
1999 ई. मँ रामधारी सिंह दिनकर के उपर जारी करलौ गेलौ डाक-टिकट |
समाज आरु भारतीय संस्कृति केरौ ऐना छेकै हुनकौ साहित्य। दिनकर केरौ साहित्य मँ राष्ट्रीय चेतना केरौ स्वर लहराबै छै। कविता रहै या गद्य रचना सब्भे केरौ महत्व अमूल्य छै।
रश्मि-रथी पाठ केरौ जोड़ आय तलक कोय नै दियै सकलौ छै। हुनी अंग केरौ गौरव कर्ण पर ही रश्मि-रथी लिखनै छथिन। भागलपुर हुनको कर्म भूमि रहै। उर्वशी महाकाव्य लेली ज्ञानपीठ पुरस्कार सँ सम्मानित होलो रहथिन।
अंग रत्न सचमुच मँ सूर्य रहै। दिनकर केरौ मानै भी त सूर्य ही होय छै। हुनी सोझे आगू बढ़लै गेलै पीछू घुरी क नै देखलकै ।
हुनी हमरा सिनी के प्रेरणा छिकात। है अंग सपूत क कोटि-कोटि नमन! हुनको ई प्रेरणाप्रद पंक्ति मनौ मँ ठौर बनाय क हमरा सदैव प्रेरणा देतें रहै छै -
"थक कर बैठ गए हो राही ? मंजिल दूर नहीं है।"
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