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Angika स्मृति-शेष | जगदीश यादव : हर्नियां सँ ग्रस्त रहला के बावजूद अंगिका के हक लेली सरकार क घेरै ल भागलपुर सँ पटना बूली क पहुँचलौ रहै | Smriti Shesh

अंगिका साहित्यकार आरू बगुला मंच के संयोजक जगदीश यादव जी केरौ निधन (25 सितंबर, 2020) दुःखद आरू आहत करै वाला छै । 

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मातृभाषा के प्रति लगाव का ऐसा उदाहरण मैंने पहले कभी नहीं सुना था। अंगिका का दुर्गद्वार कहे जानेवाले गौतम सुमन ने कभी बड़े गर्व के साथ जगदीश यादव के बारे में सुनाया था कि वह अंगिका समर्थकों के साथ पैदल ही भागलपुर से पटना की ओर निकल गये थे, सरकार के घेराव के लिए । जगदीश जी आँत उतरने की बीमारी से ग्रस्त होने के कारण हर दो कोस के बाद बेचैन हो जाते, तो सुमन उनसे कहते कि आपको गाड़ी से भागलपुर भेज देता हूँ, आप घर लौट जाइए ! इस पर जगदीश यादवजी का उत्तर होता, जानो चल्लो जैतै, तभियो नै लौटे पारौं। माय ले जान दै के अवसर की धुरी घुरी के आवै छै, गौतम जी ? और वह अपनी आंत को हाथों से संभालते पटना भी पहुंच गये थे। और जब कल ही गौतम सुमन ने यह खबर बहुत बेचैन हो कर दी कि जगदीश यादव जी कुछ दिन पूर्व ही दिवंगत हो चुके हैं, तो मन एकदम बेचैन हो उठा। कोरोना के कारण लगभग तीन चार महीने से मैं उनसे मिल नहीं पाया था, संभव भी नहीं था क्यों कि वह मेरे घर से पाँच छः किलोमीटर दूर रहते थे और आनेजाने के साधन बंद हो चुके थे। अब शहर के साहित्यकारों को महसूस होगा कि एक आवाज पर उनकी सहायता के लिए उपस्थित हो जानेवाला साहित्यकार उनसे बिछुड़ गया। भीषण गर्मी हो या उससे भी भीषण ठंड, दोस्तों से मिलने वह अवश्य आ जाते । अहंकार या वैर क्या होता है, जगदीश यादव यह जानते ही नहीं थे, वह सीखना भी नहीं चाहते थे। यह ठीक है कि उनकी कविताओं का कोई संग्रह प्रकाशित नहीं हो सका, लेकिन जीवन के आखिरी दिनों में उनकी यह इच्छा उपट पडी थी कि तभी कोरोना आ गया था। और यह भी सही है कि जगदीश यादव जी कोरोना के कारण नहीं लेकिन जिस भी कारण से हो, हमसे छिन गये हैं और जब कोरोना का समय निर्बल होजायेगा और हम दोस्त पत्रकार संजय या कवि धीरज पंडित की दुकान पर जुटेंगे, तब हमारे कवि और अंगिकापुत्र जगदीश यादव हमारे साथ नहीं होंगे ! उस समय तब लगेगा, हम अब भी अपने अपने घरों में अकेले बंद और उदास बैठे हैं । ओम शांति ! शांति !

 

नै रहलै अंगिका केॅ एक वीर योद्धा जगदीश यादव
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बड्डी दुखद खबर ई छै अंग-अंगिका लेलि समर्पित एक ठोॅ आरु योद्धा जगदीश यादव हमरा सिनी केँ बीच नै रहिलै।हुनि ५ जुलाई २००९ केँ अंग-अंगिका रोॅ हक-हकूक लेली भागलपुर सेॅ पटना तांय महापैदल यात्रा तखनी तय करलोॅ छेलै,जेखनी हुनी हरीनियां रोग सेॅ ग्रसित छेलै।आय भी हौ वृतांत हमरा रहि-रहि केॅ उक्सावै छै,जेॅ वृतांत ई पैदल यात्रा मेॅ घटलोॅ छेलै। ई यात्रा केॅ दौरान जबेॅ़ हिनकोॅ हरिनीयां उतरी जाय छेलै तेॅ हुनी अपनोॅ ई दर्द केॅ कम करै लेली दोनोॅ हाथ खड़ा करी केॅ चुपचाप ठारोॅ होय जाय छेलै।है देखीकेॅ हमरा कै एक बार डर लागलै आरु हम्मेॅ जबेॅ हुनका कहलियै कि तोंय यहीं सेँ घुमी जा,तेॅ है सुनी केॅ हुनकोॅ आंखी सेॅ टप-टप लोर बहै छेलै।हम्मेॅ,जबेॅ एकरोॅ कारण पुछलियै,तेॅ हुनी कहलकै हमरा घुरै लेॅ,कैन्हेॅ कहै छोॅ। अपनोॅ माय केॅ अस्तित्व आरु भाषा लेली समर्पण भाव दिखाबै रोॅ एक ठो तेॅ मौका मिल्लोॅ छै।ओकरोॅ सेॅ तोंय हमरा वंचित करै लेॅ चाहै छौ।हुनी कानी-कानी केॅ कहलकै कि हम्मेॅ यदि है पैदल यात्रा मेॅ मरी गेलिहों तेॅ है जय अंग जय अंगिका रोॅ लिवासेॅ मेॅ हमरा हिन्नेॅ जराय दिहोॅ।


 

अंगिका केॅ ऐन्होॅ वीर योद्धा चुपचाप चल्लोॅ गेलै।जाय घड़ी केकरोॅ सेॅ मिल्लै भी नै।ऊ तेॅ आय हमरा बगुला मंच केॅ संस्थापक आरु अंग महाजनपद केॅ हास्यावतार कवि रामावतार राही सेॅ ई दुखद खबर सुनलियै। सुनतेॅ ही मन बेचैन होय गेलै। हुनकोॅ घर गेलियै तेॅ मालूम होलै कि हुनी एकदम स्वस्थ छेलै। २५ सितंबर दिन शुक्रवार केॅ भोरै हुनी घुरी-फिरी केॅ ऐलै आरु हल्का सा सुसुम पानी पिलकै आरु कुर्सी पेॅ बैठलेॅ-बैठलेॅ दम तोड़ी देलकै। ई दुखद खबर सेॅ,बड्डी दुखी छी आय।भगवान हुनकोॅ आत्मा केॅ शांति देॅ।ऊँ शांति

 

 (सौजन्य - डॉ. अमरेंद्र , श्री गौतम सुमन)

Angika स्मृति-शेष | जगदीश यादव | Jagdish Yadav | Despite suffering from hernia disease, he came on foot from Bhagalpur to Patna to besiege the government for Angika's rights | Angika Smriti Shesh

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