नया शिक्षा नीति आरू कृषि क्षेत्र के उन्नति | Angika Samvad | Kundan Amitabh
देश मँ नैका शिक्षा नीति के तहत कृषि शिक्षा क बेहतर बनाबै के संबंध मँ आय केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण, ग्रामीण विकास आऱू पंचायती राज मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर आरू देशभर के कृषि विश्वविद्यालयो के कुलपतियो सहित कृषि शिक्षा सँ जुड़लो सैकड़ों विद्वानो नँ व्यापक विचार-विमर्श करलकै। ई अवसर पर श्री तोमर नँ कृषि शिक्षा क आरू अधिक रोजगारोन्मुखी बनाबै पर जोर देतें कहलकै कि नया शिक्षा नीति के माध्यम सँ कृषि क्षेत्र क उन्नत बनैलौ जाय ।
एकरा मँ कोय शक नै छै कि कृषि केरौ क्षेत्र महत्वपूर्ण व विविधता सँ परिपूर्ण छै। ई अर्थव्यवस्था के दृष्टि सँ भी खास छै, कैन्हेंकि देश के बड़ौ आबादी कृषि क्षेत्र मँ रोजगार पाबै छै। उत्पादन के दृष्टि सँ भी ई सबसँ बड़ौ क्षेत्र छै, ई लेली एकरा उन्नत बनाबै लेली एकरा सथें नया शिक्षा नीति के समावेश केना हुअय सकै छै, ई विचार-विमर्श शिक्षाविदो के साथ होना स्वागत योग्य कदम छेकै।
नया युग के साथ नीति-नियम मँ परिवर्तन करतें रहना प्रगतिशील समाज व व्यवस्था केरौ निशानी छेकै। ई कड़ी मँ सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र मँ पिछला छह साल मँ लेलो गेलो नीतिगत निर्णय ई क्षेत्र क मजबूती प्रदान करै के दृष्टि सँ महत्वपूर्ण छै आरू आवश्यकता के अऩुरूप भी छै । सरकार जबे किसानो के आय दोगुना करै के बात करै छै आरू दुनिया के सबसें बड़ौ आय सहायता स्कीम पीएम- किसान क लागू भी करै छै त लगै छै कि एकरा सँ निश्चित रूप सँ किसानो क अपनौ काम चलाबै मँ मदद मिलै छै । लेकिन असलियत भी यहै छेकै की ?
कृषि क्षेत्र मँ कानूनी रिफार्म्स के रूप मँ दू ठो नया अध्यादेश लानलौ गेलै, जोन कारण सँ किसान अबै अपनौ उपज, मनचाहा दामौ पर, मनचाहा जग्घौ प, मनचाहा बजारौ मँ बेचै सकै छै । जेकरा मँ मंडी के बाहर हुनका टैक्स भी नै लगतै । ई तरह सँ, कांट्रेक्ट फार्मिंग के बात क ई सरकार नँ अमलीजामा पहनैलकै आरू उपज बिक्री व लाभ-हानि के संबंध मँ किसान केरौ भय दूर करै के चेष्टा जरूर करलै छै।
ई अध्यादेश केरौ लाभ के रूप मँ निजी निवेश गांव-बहियार तलक पहुंचतै तभिये एकरा सफल मानलौ जैतै। खाली कागजौ प कोय चीज अच्छा लगला सँ जरूरी नै छै कि असल मँ प्रभावी रूप मँ भी वू भल्लौ ही नतीजा दिअय । सब निर्भर छै प्रणाली केरौ गुणवत्ता आरू कार्यक्षमता प । एकरो खस्ता हालत के बारे मँ सब क पता छै । प्रणाली ठीक करने बिना ई सब ख्याली पोलाव सँ जादे कुछ नै लागै छै ।
एकरा मँ कोय शक नै छै कि प्राकृतिक प्रतिकूलता के स्थिति मँ किसानो के मुश्किल बहुत जादे बढ़ी जाय छै । ई लेली ई भी आवश्यक छै कि कृषि शिक्षा केरौ क्षेत्र मँ नया आयाम जोड़लो जाय । जेकरा सँ कि नैका पीढ़ी कृषि क्षेत्र क टेक्नालॉजी सँ जोड़ै मँ कामयाब हुअय सकै । जेकरा सँ मुनाफा वाला क्षेत्र के रूप मँ उभरी क कृषि क्षेत्र रोजगार लेली आकर्षण केरौ केंद्र बनय सकय ।
मंत्री जी के ई कहना जायज ही छै जे खेतीबारी के क्षेत्र मँ जहाँ किसानो के मेहनत, ओकरो नजरिया व पूंजी के अतुल्य महत्व छै, वहीं आजको परिस्थिति मँ कृषि शिक्षा, कृषि अनुसंधान व सरकार के कृषि हितैषी नीति के भी बड़ौ योगदान छै। जेकरो कारण भारत आय खाद्यान्न मँ आत्मनिर्भर छै । मतरकि यहाँ गौरतलब तथ्य ई छै कि खाद्यान्न केरौ क्षेत्र मँ भारत केरौ आत्मनिर्भरता सरकार केरौ कृषि हितैषी नीति के परिणाम नै होय क भारत केरौ कृषि वैज्ञानिको सिनी केरौ दृढ़ इच्छा शक्ति के बदौलत ई क्षेत्र मँ करलो गेलौ निरंतर अनुसंधान व कठोर मेहनत के नतीजा छेकै । सरकार केरौ कृषि क्षेत्र मँ उपलब्धि के रूप मँ हाल मँ एक लाख करोड़ रूपए के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड सहित पशुपालन, हर्बल खेती, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन आऱू सम्बद्ध क्षेत्रो लेली करलो गेलौ विशेष पैकेज के प्रावधान कराना हुअय सकै छै । जेकरा सँ कृषि क्षेत्र के छोटो स्तर पर के जरूरत पूरा हुअय सकै छै । एकरा चलतें रोजगार के रौ अवसर के सृजन के संभावना छै। किसान अपनौ उपज के अच्छा भाव पाबै सकै छै । उपजा क सोझे बाजार मँ नय बेची क प्रोसेसिंग करय सकय छै। एफपीओ केरौ माध्यम सँ भी कृषि क्षेत्र मँ नया आयाम जुड़तै ।
शिक्षा नीति भी समयानुकूल, रोजगारोन्मुखी, कृषि मँ उत्पादकता बढ़ाबै वाला, तकनीक के साथ सामंजस्य बैठाबै वाला आरू वैश्विक मापदंडो क पूरा करै वाला होना चाहिय्यौ। तभिये वू कृषि क्षेत्र के उन्नति के आधार बनय सकै छै । उदाहरण लेली कृषि सँ जुड़लो आईसीएआर भी विश्वस्तरीय संस्थान छेकै, एकरो आरू एकरा सँ जुड़लो संस्थानो के वैज्ञानिकों नँ निरंतर अनुसंधान के माध्यम सँ कृषि क समृद्ध बनाबै मँ जे योगदान देलै छै ओकरा नकारलो नै जाना चाहिय्यौ । वर्तमान परिवेश मँ भारत के कृषि क्षेत्र मँ काफी उन्नति होलो छै जेकरो श्रेय मूल रूप सँ कृषि वैज्ञानिक सिनी क ही मिलना चाहिय्यौ ।
जरूरत ई बात के छै कि अबै नया शिक्षा नीति मँ कृषि क्षेत्र क उन्नत बनाबै वाला महत्वपूर्ण बिंदु के पहचान करी क ओकरो एकरा मँ समावेश करलो जाय। हलाँकि मीटिंग मँ ई बात प भी चर्चा करलो गेलो छै कि ई संबंध मँ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् एगो समिति बनाबै आरू सुझाव जौरौ करय आरू ओकरा प कोनो निष्कर्ष प पहुँचय । जेकरा सँ कृषि शिक्षा सँ जुड़लो संस्थान बेहतर ढंग सँ काम करय सकै।
देखौ अबय की होय छै । सब कुछ ई बात पर निर्भर छै कि कृषि शिक्षा सँ जुड़लो संस्थान के वैज्ञानिको सिनी के विचार क केतना बजन देलो जाय छै । साथ ही नेता सब के हस्तक्षेप केतना कम होय छै । कैन्हें कि भारत केरो कृषि वैज्ञानिक सीमित संसाधन मँ बेहतर नतीजा दै के मामला मँ दुनिया मँ सबसँ आगू छै । लेकिन अगर ई बात के गारंटी देलो जाय कि भारत के कृषि व्यवस्था मँ इजरायल जैसनो मूलभूत संरचना उपलब्ध करैलौ जैते त भारतीय कृषि वैज्ञानिक सिनी मँ एतना दम छै कि भारत क ई क्षेत्र मँ पहलौ स्थान प पहुँचाय दिअय ।
नया शिक्षा नीति आरू कृषि क्षेत्र के उन्नति
Angika Samvad | अंगिका संवाद - अबरी दाफी
कुंदन अमिताभ | Kundan Amitabh
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