अंगिका क संविधान केरौ ८ मो अनुसूची मँ तुरंत डाललौ जाय : जंतर-मंतर मँ विशाल धरना वप्रदर्शन
मुंबई, २१ फरवरी, २०२० । अंगिका भाषा क संविधान केरौ ८ मो अनुसूची मँ डलबाबै लेली २१ फरवरी क राजधानी दिल्ली केरौ जंतर-मंतर प विशाल रैली व धरना आयोजित करलौ गेलै ।
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस, २१ फरवरी दिना राजधानी दिल्ली केरौ जंतर-मंतर पर अंगिका.कॉम, अखिल भारतीय अंग अंगिका विकास मंच, आरू कैम्पेन फॉर लैंग्वेज इक्विलिटी एंड राइट्स (CLEAR) आरू भोजपुरी जनजागरण समिति केरौ संयुक्त तत्वाधान मँ अंगिका, भोजपुरी, मगही, बज्जिका, कोसली, राजस्थानी, कुरमाली भाषा सहित सीताकांत महापात्रा द्वारा अनुशंसित सब्भे 38 भारतीय भाषा क संविधान केरौ आठमौ अनुसूची मँ डलबाबै आरू संविधान सम्मत एकरो सब अधिकार दिलबाबै ल आपनौ आवाज बुलंद करै खातिर, अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस - २१ फरवरी क, भोरे १० बजे सँ जंतर-मंतर, दिल्ली मँ धरना व प्रदर्शन आयोजित भेलै।
धरना क संबोधित करतें अखिल भारतीय अंग - अंगिका विकास मंच के राष्ट्रीय महसचिव, व कैम्पेन फॉर लैंग्वेज इक्विलिटी एंड राइट्स (CLEAR)- गैर - अनुसूचित भाषा के राष्ट्रीय संयोजक, श्री कुंदन अमिताभ नँ कहलकै कि भारत सरकार तुरंत बिहार, झारखंड, पं.बंगाल राज्य के 26 जिला के 6 करोड़ लोगौ के अंगिका भाषा क संविधान क अष्टम अनुसूची मँ शामिल करय । हुनी कहलकै कि जब तलक मातृभाषा मँ शिक्षा आरू रोजगार पाबै के आजादी नै मिली जाय छै, देश के आजादी के सही उद्देश्य क हासिल करना नामुमकिन छै । श्री अमिताभ नँ कहलकै कि ई बेहद दुःखद छै कि राजनैतिक वर्चस्वता के बदौलत खाली दू-तीन जिला के मैथिली भाषा भारत केरौ एगो बड़ा भू-भाग के अंगिका भाषा क अपनौ उपभाषा बताय क अष्टम अनुसूची में जग्घौ पाबी लेनै छै । एकरा चलतें अत्यंत प्राचीन व पौराणिक अंग संस्कृति के विनष्ट होय के खतरा बढ़ी गेलौ छै ।
धरना क श्री शशिधर मेहता आरू श्री प्रसून लतांत जी नँ भी संबोधित करलकै । कार्यक्रम केरौ संचालन श्री साकेत श्रीभूषण साहू जी नँ करलकै ।
अंगिका, मगही, भोजपुरी समेत कुल 38 भाषाओं को भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल करै लेली दिल्ली के जंतर मंतर पर आयोजित एक दिवसीय धरना प्रदर्शन में दिल्ली के अलावे बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, तमिलनाडु, कर्णाटक, आंध्रप्रदेश, पंजाब, मध्यप्रदेश, केरल आदि राज्यों सँ अलग अलग भाषा- भाषियों नँ भाग लेलकै।
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी के अवसर पर आयोजित ई धरना के अध्यक्षता जोगा सिंह विर्क नँ करलकै जेकरा मँ अंगिका, बंजारा, बज्जिका, भोटी, भोजपुरी, मगही, राजस्थानी, भोटिया, बुंदेलखंडी, छत्तीसगढ़ी, ढटकी, कोसली गढ़वाली, गोंडी, गुज्जरी, हो, कच्छी, कमतापुरी, कारबी, खासी, कोडवा, कोक बारक, कुमाऊँनी, कुरक, कुर्माली, लेपचा, लिंबु, मिजो, मुंडरी, नागपुरी, निकोबारस, पहाड़ी (हिमाचली), पाली, शौरसेनी (प्रकृत), सिरैकी, टेनयिडी, तुलु भाषा भाषी लोगौ नँ भाग लेनै छै।
रामपुकार सिंह ने कहा कि भारत सरकार जो इस बार जनगणना कराने जा रही है उसमें यह जरुरी है कि हम अपनी मातृभाषा भोजपुरी या अन्य जो भी जिसकी भाषा है लिखवाएं।
वहीं क्लीयर संस्था के अध्यक्ष जोगा सिंह विर्क ने कहा कि यह दुख की बात है कि अपने मातृभाषा के संवैधानिक दर्जा के मांग के लिए हमे धरना प्रदर्शन करना पड़े।
भोजपुरी जन जागरण अभियान के अध्यक्ष संतोष पटेल ने कहा कि भोजपुरी भाषा के संवैधानिक मान्यता की मांग वर्षों पुरानी है। पच्चीस करोड़ लोगों की भाषा भोजपुरी को मारीशस व नेपाल में मान्यता प्राप्त है। परन्तु यह दुर्भाग्य है कि भारत में भोजपुरी राजनीति की शिकार बनी हुई है। हम केन्द्र सरकार से मांग करते हैं कि भोजपुरी को संविधान में शामिल करे।
सुप्रसिद्ध आलोचक जय प्रकाश फाकिर ने कहा कि भोजपुरी श्रमिक लोगों की भाषा है जिसमें अथाह शब्द भंडार है। सबसे अधिक श्रम से जुड़े शब्दों की भंडार है। किसी भाषा की शब्द भंडार तब होगी जब उसको भाषा मान मान्यता दी जाय। इसलिए सरकार को भोजपुरी समेत तमाम भारतीय भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करनी चाहिए।
इस धरना का समर्थन इसबार 'क्लीयर' संस्था ने भी किया जो भारत के उन तमाम भाषाओं को संविधान में शामिल कराने के लिए संघर्ष कर रही है जो अब तक आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं है।
इस धरना में अभियान के पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष रामपुकार सिंह, झारखंड से राजेश भोजपुरिया बिहार से अभिषेक भोजपुरिया, फाकिर जय, संतोष कुमार यादव, मनोज कुमार शिंह, देवेन्द्र कुमार, वीणा वादिनी चौबे, राम शरण यादव, धनंजय कुमार सिंह, प्रमेन्द्र सिंह, मुकुल श्रीवास्तव, राकेश कुमार सिंह, बबिता पांडेय, गंगाराम चौधरी, लाल बिहारी लाल, शशिधर मेहता, साकेत साहु, अमिताभ आदि ने भाग लिया।
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