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बिहार के चॉर केरौ कटोरा सँ विख्यात बाँका संसदीय क्षेत्र मँ मोकाबला त्रिकोणीय | News in Angika

बिहार केरौ चावल के कटोरा सँ विख्यात बाँका संसदीय क्षेत्र मँ मोकाबला त्रिकोणीय

बाँका । १६ अप्रैल, २०१९ । बिहार केरौ चॉर के कटोरा सँ विख्यात बाँका संसदीय क्षेत्र मँ मोकाबला त्रिकोणीय लौकै छै । जबकि बिहार मँ आमतौर प राजग आरू महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला छै । बाँका सीट पर महागठबंधन दन्नें सँ राजद उम्मीदवार, जय प्रकाश नारायण यादव ठारौ छै, वहीं जद (यू) प्रत्याशी विधायक गिरिधारी यादव राजग तरफौ सँ चुनावी मैदान मँ छै । पिछला बार दोसरो स्थान पर रहलौ पुतुल कुमारी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप मँ उतरलौ छै जे कि खुद क 'राजग के असली उम्मीदवार' बताय रहली छै ।



ई बार चुनाव मैदान मँ उतरलौ तीनो ही प्रत्याशी बाँका सँ सांसद रही चुकलौ छै । बितलौ लोकसभा चुनाव मँ पुतुल कुमारी दस हजार मतौ के अंतर सँ जयप्रकाश नारायण यादव सँ हारलौ छेलै । बाँका मँ 2019 के लोकसभा चुनाव मँ कुल 16,87,940 मतदाता छै जेकरा मँ 56 फीसदी पुरूष आरू 44 फीसदी महिला मतदाता छै । बाँका मँ 18 अप्रैल क मतदान छै ।

बाँका मँ दलौ के बीच जातीय गणित सँ हित साधै आरू मुद्दा सिनी क ल करी क सरगर्मी तेज़ होय गेलौ छै । यहाँ कुरमी, यादव, आरू राजपूत आबादी ज्यादा छै लेकिन अंतिम परिणाम प अन्य पिछड़ी जाति सिनी के प्रभाव भी महत्वपूर्ण होय छै । ई क्षेत्र मँ उद्योगौ के अभाव आरू सिंचाई के बेहतर व्यवस्था के अलावे सुदृढ़ शिक्षा व्यवस्था  नै होना भी अहम मुद्दा छै । अंगिका भाषा क ८ मो अनुसूची मँ डलबाबै के मुद्दा भी मुख्य मुद्दा मँ सँ छै ।



नीतीश कुमार बाँका केरौ राजग उम्मीदवार लेली प्रचार करतें हुअय

पुतुल कुमारी ने कहा कि हम लोग निर्दलीय लड़ने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थे लेकिन स्थितियाँ ऐसी बनी कि ये फैसला लेना पड़ा। सब लोगों को लगता था कि राजग की उम्मीदवार मैं ही हो सकती थी और अब सहज तौर से लोग मुझे ही राजग का प्रत्याशी मान रहे हैं। लोगों में कहीं कोई भ्रम नहीं है । सभी कह रहे हैं कि हम असली उम्मीदवार को समर्थन दे रहे हैं । राष्ट्रमंडल खेल में स्वर्ण पदक जीतने वाली अंतरराष्ट्रीय शूटर और अर्जुन पुरस्कार प्राप्त श्रेयसी सिंह पुतुल कुमारी की छोटी बेटी हैं और अपनी मां के लिए चुनाव प्रचार कर रही हैं । जदयू प्रत्याशी गिरिधारी यादव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सफल विदेश और रक्षा नीति और उनके गरीबी मिटने के कार्यों के आधार पर जनता से आर्शीवाद मांग रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि हमारी लड़ाई किसी से नहीं है और जीत का अंतर बहुत बड़ा होगा । उन दोनों (जय प्रकाश नारायण यादव और पुतुल कुमारी) के बीच दूसरे और तीसरे नंबर के बीच की लड़ाई है । जयप्रकाश नारायण यादव ने कहा, "इस बार राजग के दो उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं और इस कारण मुकाबला करने वाले अपने में टकरा कर खुद बर्बाद हो रहे हैं।" 

बांका लोकसभा के अंतर्गत 6 विधानसभा क्षेत्र आते है जिनमें सुल्तानगंज, अमरपुर, दोरैया, बांका, कटोरिया और बेलहर शामिल है। इन क्षेत्रों में धान की खेती काफी अच्छी होती है और इसलिए इसे बिहार में चावल का कटोरा भी कहा जाता है। इस क्षेत्र में शकुंतला देवी, पुतुल कुमारी, मनोरमा सिंह आदि ने राजनीति में महिलाओं को उपस्थिति को मजबूती से रखा। चुनाव में वैसे तो कुल 20 उम्मीदवार खड़े हैं लेकिन टक्कर तीन प्रमुख प्रत्याशियों के बीच ही मानी जा रही है। इनमें जदयू से गिरिधारी यादव, राजद से जयप्रकाश नारायण यादव और भाजपा की बागी निर्दलीय पुतुल कुमारी शामिल हैं। बांका को एक तरफ भगवान मधुसूदन की धरती कहा जाता है तो दूसरी तरफ अष्टावक्र की भूमि के रूप में भी जाना जाता है। बांका जिले के बौंसी प्रखंड में मंदार पर्वत अवस्थित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह वही मंदार पर्वत है जो देवासुर संग्राम के समय समुद्र मंथन में उपयोग किया गया था। बांका लोकसभा का गठन 1957 में किया गया। पहली बार बांका का नेतृत्व महिला के हाथ में गया तथा शकुंतला देवी यहां की सांसद बनी। शकुंतला देवी 1957 एवं 1962 में सांसद चुनी गई थीं। दिग्विजय सिंह 1998 एवं 1999 में हुए चुनाव में सांसद चुने गए थे। वर्तमान में बांका के जदयू उम्मीदवार गिरिधारी यादव को बांका का सांसद बनने का दो बार मौका मिला था। वे 1996 एवं 2004 में सांसद चुने गए थे। इसके अलावा जयप्रकाश नारायण यादव ने 2014 के चुनाव में जीत दर्ज की थी । पुतुल कुमारी को 2010 के उपचुनाव में जीत कर सांसद बनने का मौका मिला है। वर्ष 2014 का लोस चुनाव भी काफी दिलचस्प रहा था। पुतुल कुमारी भाजपा की उम्मीदवार थीं जबकि उनका सीधा मुकाबला राजद के जयप्रकाश नारायण यादव से हुआ था। पुतुल कुमारी करीब 10 हजार मतों से हार गई थीं।


बिहार मँ 40 लोकसभा सीट प 7 चरणौ मँ होतै  मतदान
11 अप्रैल: जमुई औरंगाबाद, गया, नवादा,
18 अप्रैल: बांका, किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर
23 अप्रैल: खगड़िया, झंझारपुर, सुपौल, अररिया, मधेपुरा,
29 अप्रैल: दरभंगा, उजियारपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, मुंगेर
6 मई: मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सारन, हाजीपुर, सीतामढ़ी,
12 मई: पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, , शिवहर, वैशाली, गोपालगंज, सिवान, महाराजगंज, वाल्मीकिनगर
19 मई: नालंदा, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर, सासाराम, काराकट, जहानाबाद


इनपुट स्त्रोत:भाषा


फोटो स्त्रोत : श्री अरविंद कुमार मुन्ना, कटहरा, भागलपुर ।

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