नेपाल केरौ त्रिदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय साहित्यिक आयोजन में हिंदी आरू अंगिका के वरिष्ठसाहित्यकार कैलाश झा किंकर भेलै सम्मानित | News in Angika
खगड़िया । १३ मार्च, २०१९ । नेपाल केरौ त्रिदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय साहित्यिक आयोजन में हिंदी आरू अंगिका के वरिष्ठ साहित्यकार कैलाश झा किंकर क सम्मानित करलौ गेलौ छै । हिन्दी भाषा साहित्य परिषद् खगड़िया केरौ महासचिव -सह- कौशिकी के सम्पादक कैलाश झा किंकर क नेपाल भारत मैत्री वीरांगना फाऊण्डेशन काठमाण्डो, रौतहट आरू भारतीय राजदूतावास काठमाण्डो द्वारा आयोजित 109 वाँ विश्व नारी दिवस के अवसर पर तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय महाकुम्भ कविमहोत्सव व 7 वाँ सोशल मीडिया मैत्री सम्मेलन में " मधेशवाद के प्रधान नेता गजेन्द्र नारायण सिंह सम्मान " सँ दिनांक ८ मार्च, २०१९ क राज्य मंत्री डा. डिम्पल कुमारी झा,संस्था के अध्यक्ष कुँवर प्रभा सिंह आरू प्रसिद्ध साहित्यकार जैबा रशीद द्वारा सम्मानित करलौ गेलै ।
एकरो पूर्व दिनांक ६ मार्च, २०१९ क ई कार्यक्रम के उद्घाटन भारतीय महावाणिज्यदूत डा.कोट्रा स्वामी नँ करलकै आरू कैलाश झा किंकर केरौ सरस्वती वन्दना सँ कार्यक्रम के शुरुआत भेलै -
सरस्वती रहे जहाँ ,कभी न अन्धकार हो
सुगीत काव्य-चेतना ,सुहास का प्रसार हो
सुमार्ग पर मिले सदा,असंख्य ऋद्धि-सिद्धियाँ
सुसभ्य भारतीय के अदम्य संस्कार हो ।
सरस्वती रहे जहाँ ,कभी न अन्धकार हो
सुगीत काव्य-चेतना ,सुहास का प्रसार हो
सुमार्ग पर मिले सदा,असंख्य ऋद्धि-सिद्धियाँ
सुसभ्य भारतीय के अदम्य संस्कार हो ।
प्रथम दिन के द्वितीय सत्र मँ आयोजित कविसम्मेलन में कैलाश झा किंकर अपनौ बेटी शीर्षक कविता सँ श्रोता सिनी प अमिट छाप छोड़ै मँ सफल रहलै -
सम्मान-मान बेटी,है आन-बान बेटी ।
बेटी की सुरक्षा में,खुद आसमान बेटी।।
बेटी की भ्रूण हत्या,सौ फीसदी रुके अब
बेटी की ज़िंदगी की,थामे कमान बेटी ।
दोसरौ दिन के प्रथम सत्र में नेपाल भारत मैत्री पर अपनौ रचना सुनैतें किंकर जी नँ कहलकै -
सम्बन्ध है पुराना नेपाल से हमारा ।
जब से खड़ा हिमालय,तब से जुड़े हैं यारा।।
सदियों से मिल के रहते नेपाल के निवासी
सीमा खुली हुई है,बाँहों का है सहारा।
जब संधि भी सुगौली,लागू हुई हमारी
भारत से जुड़ गया तब,नेपाल फिर दुबारा।।
सम्मान-मान बेटी,है आन-बान बेटी ।
बेटी की सुरक्षा में,खुद आसमान बेटी।।
बेटी की भ्रूण हत्या,सौ फीसदी रुके अब
बेटी की ज़िंदगी की,थामे कमान बेटी ।
दोसरौ दिन के प्रथम सत्र में नेपाल भारत मैत्री पर अपनौ रचना सुनैतें किंकर जी नँ कहलकै -
सम्बन्ध है पुराना नेपाल से हमारा ।
जब से खड़ा हिमालय,तब से जुड़े हैं यारा।।
सदियों से मिल के रहते नेपाल के निवासी
सीमा खुली हुई है,बाँहों का है सहारा।
जब संधि भी सुगौली,लागू हुई हमारी
भारत से जुड़ गया तब,नेपाल फिर दुबारा।।
दोसरौ दिन के द्वितीय सत्र के शुरुआत भी कैलाश झा किंकर केरौ सरस्वती वन्दना सँ ही भेलै । मंच पर आसीन रौतहट के जिलाधिकारी आरू आरक्षी अधीक्षक समेत सब्भे श्रोता आरू साहित्यकार किंकर जी के सरस्वती वन्दना आरू ग़ज़ल के प्रस्तुति पर झूमी उठलै -
इतना तो पता है कि ये दूरी न रहेगी
हक की ये कहानी भी अधूरी न रहेगी।
दुल्हन को तिलक देँगे ये दूल्हे के पिता ही
आँसू के समन्दर मेँ ये नूरी न रहेगी।
इतना तो पता है कि ये दूरी न रहेगी
हक की ये कहानी भी अधूरी न रहेगी।
दुल्हन को तिलक देँगे ये दूल्हे के पिता ही
आँसू के समन्दर मेँ ये नूरी न रहेगी।
मंच संचालक केरौ खास फरमाईश पर किंकरजी नँ अंगिका कविता "मस्टरवा" आरू "क,ग,ग,घ" शीर्षक कविता भी सुनैलकै ।
भारत आरू नेपाल के कवियौ के ई अनूठा संगम आठ मार्च 2019 क चरम पर पहुँची गेलै जबै दूनू देशौ के साहित्यकारौ नँ नेपाल-भारत एकता, दहेज उन्मूलन, बेटी बचाबौ बेटी पढ़ाबौ आरू शराबबंदी जैसनौ मुद्दा पर भारत आरू नेपाल के धाजौ थामलें गौर सें बैरगनिया बोर्डर पर पूरे जोश आरू जुनून सें नारा लगैतैं शांति के संदेश देलकै । भोजनोपरांत सब्भे साहित्यकार क राज्यमंत्री डा. डिम्पल कुमारी झा नँ अंगवस्त्र,प्रतीक चिह्न,प्रशस्ति पत्रादि सँ सम्मानित करतें नेपाल भारत मैत्री के शुभकामना देलकै ।
हर सत्र के शुरुआत नेपाल आरू भारत के राष्ट्रगान आरू सरस्वती वन्दना सँ होलै ।
बिहार,मध्यप्रदेश,उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़,दिल्ली,हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र आरू नेपाल केरौ साहित्यकारौ के बीच अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर कैलाश झा किंकर के सम्मानित होला पर खगड़िया के साहित्यकार,अध्यापक, बुद्धिजीवी आरू छात्र-छात्रा सिनी में काफी प्रसन्नता छै ।इ बीच नन्देश निर्मल,शिवकुमार सुमन,अवधेश्वर प्रसाद सिंह,कविता परवाना,रामदेव पंडित राजा ,डा0 सुनील कुमार मिश्र,कामरान अलवी,मोहम्मद इक़बाल नालां, गणेशराज,शंकरानन्द, प्रोफेसर चन्द्रिका प्रसाद सिंह विभाकर आदि नँ कैलाश झा किंकर क बधाई आरू शुभकामनाएं देलै छै कि खगड़िया के साहित्य आरू सृजन अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति तलक पहुँचलै।
कार्यक्रम क ऊँचाई प्रदान करै में नेपाल-भारत मैत्री वीरांगना फाउण्डेशन, काठमाण्डो, रौतहट के अध्यक्ष कुँवर प्रभा सिंह,मगसम के राष्ट्रीय संयोजक सुधीर सिंह सुधाकर,शत्रुघ्न सिंह,सौरभ सिंह,डा0 अनिता रानी भारद्वाज आरू संजय कौशिक विज्ञात केन्द्रीय भूमिका में रहै।
नेपाल केरौ त्रिदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय साहित्यिक आयोजन में खगड़िया ( बिहार ) भारत के हिंदी आऱू अंगिका साहित्यकार, कैलाश झा किंकर जी के सम्मानित होला प अंगिका.कॉम परिवार भी हुनका बधाई आरू शुभकामना दै छै । अंगिका.कॉम परिवार क आशा छै कि ऐन्हें हुनी साहित्य साधना मँ लीन रही क देश के नाम रौशन करतेँ रहय ।
नेपाल केरौ त्रिदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय साहित्यिक आयोजन में सम्मानित खगड़िया ( बिहार ) भारत के कैलाश झा किंकर जी केरौ डायरी सँ
प्रथम दिवस(06:03:2019)
नेपाल भारत मैत्री वीरांगना फाउण्डेशन काठमांडो, रौतहट,राम दुलारी शिव समाज केन्द्र रौतहट और भारतीय राज दूतावास, काठमांडो के 109 वाँ विश्व नारी दिवस के अवसर पर तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय महाकुम्भ, कवि महोत्सव एवम् 7 वाँ सोशल मीडिया सम्मान समारोह ,सास्कृतिक कार्यक्रम दिनांक 6,7,8 मार्च 2019 का आयोजन प्रभा कुँवर सिंह की अध्यक्षता में आरम्भ हुआ।भारत और नेपाल के लहराते हुए झंडों के सम्मान में नेपाल और भारत के राष्ट् गान गाए गये।
दीप प्रज्वलन से कार्यक्रम का उद्घाटन भारतीय महा वाणिज्यिकदूत डा0 कोट्रा स्वामी ने मंचस्थ अतिथियों के साथ किया ।
हिन्दी भाषा साहित्य परिषद् खगड़िया, बिहार के महासचिव कैलाश झा किंकर की सरस्वती वन्दना - "सरस्वती रहे जहाँ, कभी न अन्धकार हो
सुगीत,काव्य-चेतना,सुहास का प्रसार हो"
से कार्यक्रम का आग़ाज़ हुआ।साथ दे रहे थे मगसम के राष्ट्रीय संयोजक सुधीर सिंह सुधाकर (दिल्ली), फिरोज खान फतेहपुरी(भोपाल),भीम प्रसाद प्रजापति देवरिया(उत्तर प्रदेश) और बिहार अर्णव कलश के अध्यक्ष विनोद कुमार हँसौड़ा ।भारत के विभिन्न राज्यों से आये हुए अतिथियों का स्वागत/सम्मान हुआ।और हुआ लाजवाब सांस्कृतिक कार्यक्रम ।नेपाल की स्कूली छात्राओं ने अपने सांस्कृतिक -कौशल से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा, वो भारत देश है मेरा और मेरा देश रंगीला---- पर बच्चियों के भावपूर्ण नृत्य ने भारत नेपाल मैत्री के भाव संचरण करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रथम सत्र का सफल संचालन डा0 अनिता रानी भारद्वाज (हरियाणा) ने किया।
द्वितीय सत्र अन्तर्राष्ट्रीय कविसम्मेलन की अध्यक्षता बाबा बैद्यनाथ झा ने की और मंचसंचालन मगसम के राष्ट्रीय संयोजक सुधीर कुमार सुधाकर ने किया।मुख्य अतिथि के रूप में रेहाना बेगम मंचस्थ थी।
कविसम्मेलन की शुरुआत सूर्य कान्त त्रिपाठी निराला की सरस्वती वन्दना -वर दे,वीणावादिनी वर दे ---के गायन से विनोद कुमार हँसौड़ा ने किया।प्रभाष कुमार झा (नेपाल) के बाद कर्मेश चौरसिया ,नागपुर (महाराष्ट्र )ने कहा-
शब्द जब दिखते हैं फूलों की टोकड़ी मे/शब्दों से लार्वा टपकता है।
फिरोज खान फतेहपुरी(इलाहाबाद)-
मुझे भी गर्व है हिन्दुस्तानी अपने होने के
मैं भी अपने दिल में हिन्दुस्तान रखता हूँ ।
नरेन्द्र पाल जैन (राजस्थान)-
अगर चाहो कि ये जीवन हमारा महका महका हो
तो घर में फूल बेटी का सदा खिलना जरूरी है।
नेहा भंडारकर (महाराष्ट्र)और भीम प्रजापति देवरिया के बाद नन्द लाल त्रिपाठी (गोरखपुर) की पंक्ति आई-
काँटों पर चलना सीखा ही नहीं
फूलों पे क्या तुम चल पाओगे
जीवन की मधुशाला तुमने देखे ही नहीं
तुम क्या जाओगे मधुशाला।
कर्मेश सिन्हा तन्हा, औरंगाबाद के बाद कृष्ण कुमार द्विवेद्वी नागपुर, महाराष्ट्र ने फरमाया-
हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता के समान
मेरी यात्रा अनन्त है
प्रारम्भ हूँ मैं, मध्य हूँ मैं ,
किन्तु नहीं हुआ मेरा अन्त ।
जन्म से लेकर मृत्यु तक
हर कार्य में आपका साथ देता हूँ
जी महोदय-मैं कोई और नहीं -
एक कोमल सा कागज हूँ।
कौशिकी के सम्पादक कैलाश झा किंकर ने अपनी बेटी शीर्षक कविता में कहा-
सम्मान-मान बेटी,है आन-बान बेटी
बेटी की सुरक्षा में,खुद आसमान बेटी
बेटी की भ्रूण हत्या,सौ फीसदी रुके अब
बेटी की ज़िन्दगी की,थामे कमान बेटी ।
विनोद कुमार हँसौड़ा,दरभंगा ने अपनी रचना में सुनाया-
भारत नेपाल की तो मित्रता मिसाल रही
अच्छे हैं पड़ोसी दोनों,मित्रता भी जारी है।
अवध के राजा राम मिथिला की बेटी सीता
घर-घर कितने ही, ऐसी रिश्तेदारी है।
चन्द्र शेखर राउत(नेपाल)-
हे मेहमां करूँ तेरा दिल से नमन
शुक्रिया शुक्रिया कोटि कोटि है नमन
सुधीर कुमार सुधाकर(वाराणसी)-
सोने सी चिड़ैया,मेरी गोरैया,
आओ न मेरे द्वार ।
डा0 रेहाना बेगम(नेपाल)-
इक ग़ज़ल सुनाती हूँ मैं प्यार से करो कुबूल
ये जि़न्दगी है क्या इसे पहचान कर करो कुबूल।
बाबा बैद्यनाथ झा(पूर्णियां)-
नहीं अस्तित्व ही होता ,मिले दमखम नहीं होते,
हमारी माँ नहीं होती,जगत में हम नहीं होते ।
अध्यक्षता कर रहे बाबा बैद्यनाथ झा ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आज के कार्यक्रम को विराम दिया।
नेपाल भारत मैत्री वीरांगना फाउण्डेशन काठमांडो, रौतहट,राम दुलारी शिव समाज केन्द्र रौतहट और भारतीय राज दूतावास, काठमांडो के 109 वाँ विश्व नारी दिवस के अवसर पर तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय महाकुम्भ, कवि महोत्सव एवम् 7 वाँ सोशल मीडिया सम्मान समारोह ,सास्कृतिक कार्यक्रम दिनांक 6,7,8 मार्च 2019 का आयोजन प्रभा कुँवर सिंह की अध्यक्षता में आरम्भ हुआ।भारत और नेपाल के लहराते हुए झंडों के सम्मान में नेपाल और भारत के राष्ट् गान गाए गये।
दीप प्रज्वलन से कार्यक्रम का उद्घाटन भारतीय महा वाणिज्यिकदूत डा0 कोट्रा स्वामी ने मंचस्थ अतिथियों के साथ किया ।
हिन्दी भाषा साहित्य परिषद् खगड़िया, बिहार के महासचिव कैलाश झा किंकर की सरस्वती वन्दना - "सरस्वती रहे जहाँ, कभी न अन्धकार हो
सुगीत,काव्य-चेतना,सुहास का प्रसार हो"
से कार्यक्रम का आग़ाज़ हुआ।साथ दे रहे थे मगसम के राष्ट्रीय संयोजक सुधीर सिंह सुधाकर (दिल्ली), फिरोज खान फतेहपुरी(भोपाल),भीम प्रसाद प्रजापति देवरिया(उत्तर प्रदेश) और बिहार अर्णव कलश के अध्यक्ष विनोद कुमार हँसौड़ा ।भारत के विभिन्न राज्यों से आये हुए अतिथियों का स्वागत/सम्मान हुआ।और हुआ लाजवाब सांस्कृतिक कार्यक्रम ।नेपाल की स्कूली छात्राओं ने अपने सांस्कृतिक -कौशल से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा, वो भारत देश है मेरा और मेरा देश रंगीला---- पर बच्चियों के भावपूर्ण नृत्य ने भारत नेपाल मैत्री के भाव संचरण करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रथम सत्र का सफल संचालन डा0 अनिता रानी भारद्वाज (हरियाणा) ने किया।
द्वितीय सत्र अन्तर्राष्ट्रीय कविसम्मेलन की अध्यक्षता बाबा बैद्यनाथ झा ने की और मंचसंचालन मगसम के राष्ट्रीय संयोजक सुधीर कुमार सुधाकर ने किया।मुख्य अतिथि के रूप में रेहाना बेगम मंचस्थ थी।
कविसम्मेलन की शुरुआत सूर्य कान्त त्रिपाठी निराला की सरस्वती वन्दना -वर दे,वीणावादिनी वर दे ---के गायन से विनोद कुमार हँसौड़ा ने किया।प्रभाष कुमार झा (नेपाल) के बाद कर्मेश चौरसिया ,नागपुर (महाराष्ट्र )ने कहा-
शब्द जब दिखते हैं फूलों की टोकड़ी मे/शब्दों से लार्वा टपकता है।
फिरोज खान फतेहपुरी(इलाहाबाद)-
मुझे भी गर्व है हिन्दुस्तानी अपने होने के
मैं भी अपने दिल में हिन्दुस्तान रखता हूँ ।
नरेन्द्र पाल जैन (राजस्थान)-
अगर चाहो कि ये जीवन हमारा महका महका हो
तो घर में फूल बेटी का सदा खिलना जरूरी है।
नेहा भंडारकर (महाराष्ट्र)और भीम प्रजापति देवरिया के बाद नन्द लाल त्रिपाठी (गोरखपुर) की पंक्ति आई-
काँटों पर चलना सीखा ही नहीं
फूलों पे क्या तुम चल पाओगे
जीवन की मधुशाला तुमने देखे ही नहीं
तुम क्या जाओगे मधुशाला।
कर्मेश सिन्हा तन्हा, औरंगाबाद के बाद कृष्ण कुमार द्विवेद्वी नागपुर, महाराष्ट्र ने फरमाया-
हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता के समान
मेरी यात्रा अनन्त है
प्रारम्भ हूँ मैं, मध्य हूँ मैं ,
किन्तु नहीं हुआ मेरा अन्त ।
जन्म से लेकर मृत्यु तक
हर कार्य में आपका साथ देता हूँ
जी महोदय-मैं कोई और नहीं -
एक कोमल सा कागज हूँ।
कौशिकी के सम्पादक कैलाश झा किंकर ने अपनी बेटी शीर्षक कविता में कहा-
सम्मान-मान बेटी,है आन-बान बेटी
बेटी की सुरक्षा में,खुद आसमान बेटी
बेटी की भ्रूण हत्या,सौ फीसदी रुके अब
बेटी की ज़िन्दगी की,थामे कमान बेटी ।
विनोद कुमार हँसौड़ा,दरभंगा ने अपनी रचना में सुनाया-
भारत नेपाल की तो मित्रता मिसाल रही
अच्छे हैं पड़ोसी दोनों,मित्रता भी जारी है।
अवध के राजा राम मिथिला की बेटी सीता
घर-घर कितने ही, ऐसी रिश्तेदारी है।
चन्द्र शेखर राउत(नेपाल)-
हे मेहमां करूँ तेरा दिल से नमन
शुक्रिया शुक्रिया कोटि कोटि है नमन
सुधीर कुमार सुधाकर(वाराणसी)-
सोने सी चिड़ैया,मेरी गोरैया,
आओ न मेरे द्वार ।
डा0 रेहाना बेगम(नेपाल)-
इक ग़ज़ल सुनाती हूँ मैं प्यार से करो कुबूल
ये जि़न्दगी है क्या इसे पहचान कर करो कुबूल।
बाबा बैद्यनाथ झा(पूर्णियां)-
नहीं अस्तित्व ही होता ,मिले दमखम नहीं होते,
हमारी माँ नहीं होती,जगत में हम नहीं होते ।
अध्यक्षता कर रहे बाबा बैद्यनाथ झा ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आज के कार्यक्रम को विराम दिया।
द्वितीय दिवस (07:03:2019)
नेपाल भारत मैत्री वीरांगना फाउण्डेशन काठमांडो, रौतहट,राम दुलारी शिव समाज केन्द्र रौतहट और भारतीय राज दूतावास, काठमांडो के 109 वाँ विश्व नारी दिवस के अवसर पर तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय महाकुम्भ, कवि महोत्सव एवम् 7 वाँ सोशल मीडिया सम्मान समारोह ,सास्कृतिक कार्यक्रम दिनांक 6,7,8 मार्च 2019 के दूसरे दिन का आयोजन संजय कौशिक विज्ञात की अध्यक्षता में फिरोज खान फतेहपुरी की सरस्वती वन्दना से आरम्भ हुआ-
शुभ्र वस्त्र धारिणी तुम,वीणा की झनकारिणी
ज्ञान की ज्योति जलाने,का हमें वरदान दें
डा0 अनिता रानी भारद्वाज (राजस्थान) -
नेपाल भारत हैं सारे जग से न्यारे
ये वीर सहोदर हैं,हमको जान से प्यारे
राम प्रसाद भारत ,पानीपत-
इश्क छोड़ अंगारों की बात करता हूँ मैं
देश में छुपे गद्दारों की बात करता हूँ मैं ।
डा0 नीला दीवान (राजस्थान) ने मीडिया पर कटाक्ष किया अख़बार में छपती हैं झूठी ख़बरें/ख़बरों में होते हैं घोटाले
पूर्णिमा (राजस्थान) ने अपनी कविता में कहा-गंगा माता,नेपाल भ्राता
अभिषेक जोगी(राजस्थान)-
दोस्ती दोस्ती दोस्ती की नदियाँ देखी होंगी
पर ये कैसा समन्दर है तू मेरे अन्दर है मैं तेरे अन्दर हूँ।
हास्य- व्यंग्य की कवयित्री बसंती पँवार राजस्थान के बाद किरण काशीनाथ,महाराष्ट्र ने फरमाया-
कैसे कहें कि बाजार हो गये हैं हम
नफरतों के खरीददार हो गये हैं हम ।
अब हमें किताबों में पढ़ा जाता है
कहानियों के किरदार हो गये हैं हम।
नरेन्द्र दग्गा,राजस्थान-
सुने थे नेपाल बहुत खुशहाल है
उसी से मिलाने हिन्दुस्तान लाया हूँ।
चन्द्रशेखर राय(नेपाल)-
बेटी,बहन और भार्या भी तुम हो
काली,सरस्वती और दुर्गा भी तुम हो
लता सिन्हा ज्योतिर्मय, मुजफ्फरपुर(बिहार)
वह लुम्बिनी वन का क्षेत्र यहाँ,थे जन्म लिए बुद्ध हुए जवां
पर बोधिसत्व का ज्ञान मिला,वह अद्भुत देश था हिन्दुस्तान, है बोधिवृक्ष की छाँव जहाँ।
ज्योति राय ज्वाला(मध्यप्रदेश)-
अग्नि की उठती ज्वाला सी,ढलते सूरज की लाली है
ममता मयी माँ दुर्गा सी,कभी रद्र वो चंडी काली है
जैबा राशिद (राजस्थान) के बाद अध्यक्षता कर रहे
संजय कौशिक विज्ञात(हरियाणा) ने घनाक्षरी छन्द में सुनाया-
लाल यही भारती के,तेज-ओज दीखता है
कहें यूँ गंभीर बात आम बोल चाल ये।
ये शब्दों के देते अर्थ ,कविता की माला गूँथ
भेट करे भारती को,पुत्र हैं निहाल ये ।।
कलम के ऐसे धनी,गूढ़ता निपुण लिखें
पढ़े सुने वाह कहे,देखता नेपाल ये ।
धन्य-धन्य भारती है,धन्य-धन्य भारतीय
विश्व में जो ऊँचा रखे,भारती का भाल ये।।
संजय कौशिक विज्ञात ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सभी साहित्यकारों के प्रति आभार प्रकट किया और भोजनावकाश के लिए सत्रांत की घोषणा की
सफल मंच संचालन ज्योति राय ज्वाला ने किया ।
नेपाल भारत मैत्री वीरांगना फाउण्डेशन काठमांडो, रौतहट,राम दुलारी शिव समाज केन्द्र रौतहट और भारतीय राज दूतावास, काठमांडो के 109 वाँ विश्व नारी दिवस के अवसर पर तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय महाकुम्भ, कवि महोत्सव एवम् 7 वाँ सोशल मीडिया सम्मान समारोह ,सास्कृतिक कार्यक्रम दिनांक 6,7,8 मार्च 2019 के दूसरे दिन का आयोजन संजय कौशिक विज्ञात की अध्यक्षता में फिरोज खान फतेहपुरी की सरस्वती वन्दना से आरम्भ हुआ-
शुभ्र वस्त्र धारिणी तुम,वीणा की झनकारिणी
ज्ञान की ज्योति जलाने,का हमें वरदान दें
डा0 अनिता रानी भारद्वाज (राजस्थान) -
नेपाल भारत हैं सारे जग से न्यारे
ये वीर सहोदर हैं,हमको जान से प्यारे
राम प्रसाद भारत ,पानीपत-
इश्क छोड़ अंगारों की बात करता हूँ मैं
देश में छुपे गद्दारों की बात करता हूँ मैं ।
डा0 नीला दीवान (राजस्थान) ने मीडिया पर कटाक्ष किया अख़बार में छपती हैं झूठी ख़बरें/ख़बरों में होते हैं घोटाले
पूर्णिमा (राजस्थान) ने अपनी कविता में कहा-गंगा माता,नेपाल भ्राता
अभिषेक जोगी(राजस्थान)-
दोस्ती दोस्ती दोस्ती की नदियाँ देखी होंगी
पर ये कैसा समन्दर है तू मेरे अन्दर है मैं तेरे अन्दर हूँ।
हास्य- व्यंग्य की कवयित्री बसंती पँवार राजस्थान के बाद किरण काशीनाथ,महाराष्ट्र ने फरमाया-
कैसे कहें कि बाजार हो गये हैं हम
नफरतों के खरीददार हो गये हैं हम ।
अब हमें किताबों में पढ़ा जाता है
कहानियों के किरदार हो गये हैं हम।
नरेन्द्र दग्गा,राजस्थान-
सुने थे नेपाल बहुत खुशहाल है
उसी से मिलाने हिन्दुस्तान लाया हूँ।
चन्द्रशेखर राय(नेपाल)-
बेटी,बहन और भार्या भी तुम हो
काली,सरस्वती और दुर्गा भी तुम हो
लता सिन्हा ज्योतिर्मय, मुजफ्फरपुर(बिहार)
वह लुम्बिनी वन का क्षेत्र यहाँ,थे जन्म लिए बुद्ध हुए जवां
पर बोधिसत्व का ज्ञान मिला,वह अद्भुत देश था हिन्दुस्तान, है बोधिवृक्ष की छाँव जहाँ।
ज्योति राय ज्वाला(मध्यप्रदेश)-
अग्नि की उठती ज्वाला सी,ढलते सूरज की लाली है
ममता मयी माँ दुर्गा सी,कभी रद्र वो चंडी काली है
जैबा राशिद (राजस्थान) के बाद अध्यक्षता कर रहे
संजय कौशिक विज्ञात(हरियाणा) ने घनाक्षरी छन्द में सुनाया-
लाल यही भारती के,तेज-ओज दीखता है
कहें यूँ गंभीर बात आम बोल चाल ये।
ये शब्दों के देते अर्थ ,कविता की माला गूँथ
भेट करे भारती को,पुत्र हैं निहाल ये ।।
कलम के ऐसे धनी,गूढ़ता निपुण लिखें
पढ़े सुने वाह कहे,देखता नेपाल ये ।
धन्य-धन्य भारती है,धन्य-धन्य भारतीय
विश्व में जो ऊँचा रखे,भारती का भाल ये।।
संजय कौशिक विज्ञात ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सभी साहित्यकारों के प्रति आभार प्रकट किया और भोजनावकाश के लिए सत्रांत की घोषणा की
सफल मंच संचालन ज्योति राय ज्वाला ने किया ।
भोजनोपरांत चौथे सत्र का आग़ाज़ हुआ।नेहा भंडारकर की अध्यक्षता में और विनोद कुमार हँसौड़ा के मंच संचालन में यह सत्र शुरू हुआ।मुख्य अतिथि गिरीश नन्दन सिंह,कार्यपालिका सदस्य,गौर,नेपाल और विशिष्ट अतिथि
सुधीर कुमार सुधाकर,बाबा बैद्यनाथ झा और कैलाश झा किंकर मंचस्थ थे।
कैलाश झा किंकर ने सरस्वती वन्दना से सत्र का आग़ाज़ किया।कविता पाठ करने वालों में लता सिन्हा ज्योतिर्मय, नरेन्द्र कुमार पाल और रंजना सिंह के बाद फिरोज खान फतेहपुरी ने फरमाया-
मुझको कुछ भी नही लेना है माँ तेरे घर से
टूटे फूटे खिलौने से जी बहला लेंगे।
रंजना सिंह अंगवाणी के बाद नेपाल की छात्राओं ने बेटी बचाओ ,बेटी पढ़ाओ ,सामा चकेवा, छठ,होली,दीवाली, ईद,आदि गीत पर लाजवाब नृत्य प्रस्तुति दी।
भीम प्रजापति देवरिया ने बेटी शीर्षक से कतिपय दोहे सुनाए-
भ्रूण भ्रंस जो भी करे,करता है वो पाप ।
नारी यदि होती नहीं, ना होते हम आप ।।
शकुन्तला शिन्दे,दाँतेबाड़ा,छत्तीसगढ़-
की है जो दोस्ती तो निभाए हुए रखना
इस प्रीत के गुलशन को खिलाए हुए रखना।
कैलाश झा किंकर ने भारत-नेपाल मैत्री पर केन्द्रित रचनाओं में कहा-
सम्बन्ध है पुराना नेपाल से हमारा ।
जब से खड़ा हिमालय,तब से जुड़े हैं यारा।।
सदियों से मिल के रहते नेपाल के निवासी
सीमा खुली हुई है,बाँहों का है सहारा।
कर्मेश सिन्हा,औरंगाबाद ने कहा-
जुबां,निगाहें,दीदार और मुलाकात
ये सब अब हैं गुजरे ज़माने की बात ।
बाबा बैद्यनाथ झा ,पूर्णियाँ ,बिहार ने अपनी प्रस्तुति में कहा-
अनुज नेपाल करता है सदा सम्मान भारत का
निभाता प्रेम वह दिल से,करे गुणगान भारत का ।
कमलेश चौरसिया ,नागपुर ने व्यथा कथा शीर्षक कविता सुनाकर व्यंग्य किया-
बिखरे बाल/चुटके गाल और/ पिताम्बरी वर्ण से विभूषित चौरसिया जी ने/ ज्यों ही साहस के केबिन में प्रवेश किया/केबिन ने प्रश्नों के गोले दागे!
और चौरसिया जी चारों खाने चित्त हो गये।
डा0 अनिता रानी भारद्वाज (हरियाणा)ने गाया-
रंग विरंगे पुष्प खिले हैं
आज गौर के उपवन में
शीतल मन्द समीर प्रवाहित
हर्षित मन के आँगन में।
सुधीर कुमार सुधाकर (वाराणसी)
शब्द सुख देते हैं/शब्द दु:ख देते हैं/शब्द रुलाते भी हैं
/शब्दों को साधना जरूरी है।
विनोद कुमार हँसौड़ा, दरभंगा, बिहार-
साष्टांग केर गेल जमाना,के लागै आब गोर
लाज लगै गरदन झुकबै में,आयल कलयुग घोर!
हीरामन पासवान, मोतिहारी,बिहार
आँसू तेरे निकले तो आँखें मेरी हो
दिल तेरा धड़के तो धड़कन मेरी हो
हमसब की दोस्ती इतनी गहरी हो
साँस तेरी निकले तो मौत मेरी हो
नन्दलाल त्रिपाठी -गोरखपुर(उत्तर प्रदेश)
कहीं यारी है कहीं याराना
कहीं है जोश पैमाना ।
सुमन अग्निहोत्री (छत्तीसगढ़)-
प्रश्न पूछती है धरा,
सब उत्तर दो ज़रा-ज़रा
अध्यक्षता कर रही नेहा भंडार कर के कविता पाठ के बाद सत्रांत हो गया।
सुधीर कुमार सुधाकर,बाबा बैद्यनाथ झा और कैलाश झा किंकर मंचस्थ थे।
कैलाश झा किंकर ने सरस्वती वन्दना से सत्र का आग़ाज़ किया।कविता पाठ करने वालों में लता सिन्हा ज्योतिर्मय, नरेन्द्र कुमार पाल और रंजना सिंह के बाद फिरोज खान फतेहपुरी ने फरमाया-
मुझको कुछ भी नही लेना है माँ तेरे घर से
टूटे फूटे खिलौने से जी बहला लेंगे।
रंजना सिंह अंगवाणी के बाद नेपाल की छात्राओं ने बेटी बचाओ ,बेटी पढ़ाओ ,सामा चकेवा, छठ,होली,दीवाली, ईद,आदि गीत पर लाजवाब नृत्य प्रस्तुति दी।
भीम प्रजापति देवरिया ने बेटी शीर्षक से कतिपय दोहे सुनाए-
भ्रूण भ्रंस जो भी करे,करता है वो पाप ।
नारी यदि होती नहीं, ना होते हम आप ।।
शकुन्तला शिन्दे,दाँतेबाड़ा,छत्तीसगढ़-
की है जो दोस्ती तो निभाए हुए रखना
इस प्रीत के गुलशन को खिलाए हुए रखना।
कैलाश झा किंकर ने भारत-नेपाल मैत्री पर केन्द्रित रचनाओं में कहा-
सम्बन्ध है पुराना नेपाल से हमारा ।
जब से खड़ा हिमालय,तब से जुड़े हैं यारा।।
सदियों से मिल के रहते नेपाल के निवासी
सीमा खुली हुई है,बाँहों का है सहारा।
कर्मेश सिन्हा,औरंगाबाद ने कहा-
जुबां,निगाहें,दीदार और मुलाकात
ये सब अब हैं गुजरे ज़माने की बात ।
बाबा बैद्यनाथ झा ,पूर्णियाँ ,बिहार ने अपनी प्रस्तुति में कहा-
अनुज नेपाल करता है सदा सम्मान भारत का
निभाता प्रेम वह दिल से,करे गुणगान भारत का ।
कमलेश चौरसिया ,नागपुर ने व्यथा कथा शीर्षक कविता सुनाकर व्यंग्य किया-
बिखरे बाल/चुटके गाल और/ पिताम्बरी वर्ण से विभूषित चौरसिया जी ने/ ज्यों ही साहस के केबिन में प्रवेश किया/केबिन ने प्रश्नों के गोले दागे!
और चौरसिया जी चारों खाने चित्त हो गये।
डा0 अनिता रानी भारद्वाज (हरियाणा)ने गाया-
रंग विरंगे पुष्प खिले हैं
आज गौर के उपवन में
शीतल मन्द समीर प्रवाहित
हर्षित मन के आँगन में।
सुधीर कुमार सुधाकर (वाराणसी)
शब्द सुख देते हैं/शब्द दु:ख देते हैं/शब्द रुलाते भी हैं
/शब्दों को साधना जरूरी है।
विनोद कुमार हँसौड़ा, दरभंगा, बिहार-
साष्टांग केर गेल जमाना,के लागै आब गोर
लाज लगै गरदन झुकबै में,आयल कलयुग घोर!
हीरामन पासवान, मोतिहारी,बिहार
आँसू तेरे निकले तो आँखें मेरी हो
दिल तेरा धड़के तो धड़कन मेरी हो
हमसब की दोस्ती इतनी गहरी हो
साँस तेरी निकले तो मौत मेरी हो
नन्दलाल त्रिपाठी -गोरखपुर(उत्तर प्रदेश)
कहीं यारी है कहीं याराना
कहीं है जोश पैमाना ।
सुमन अग्निहोत्री (छत्तीसगढ़)-
प्रश्न पूछती है धरा,
सब उत्तर दो ज़रा-ज़रा
अध्यक्षता कर रही नेहा भंडार कर के कविता पाठ के बाद सत्रांत हो गया।
संध्या में पुन: कविसम्मेलन शुरू हुआ।
अध्यक्षता कर रही थी नेपाल की कवयित्री निर्मला दहाड़।
जिलाधिकारी किरण थापा और अभिनय कुमार सिंह,पुलिस अधीक्षक अनन्त अधिकारी,अधिवक्ता अनन्त अधिकारी, कुँवर प्रभा सिंह, लता सिन्हा ज्योतिर्मय , अनिता रानी भारद्वाज आदि मंचस्थ थे।कुँवर प्रभा सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया।मंच संचालन विनोद कुमार हँसौड़ा कर रहे थे।
इस सत्र की शुरुआत भी कैलाश झा किंकर ने अपनी सरस्वती वन्दना से की।फिर नेपाल और भारत के राष्ट्रगान को गाया गया और अधिकारियों ने दीप प्रज्वलन करके पंचम सत्र का उद्घाटन किया।बाबा बैद्यनाथ झा ने नेपाल-भारत की मैत्री पर केन्द्रित रचना का सस्वर पाठ किया।अनिता रानी भारद्वाज ,फिरोज खान फतेहपुरी,लता सिन्हा भारद्वाज, शकुन्तला शिन्दे,सुधीर सिंह सुधाकर, संजय कौशिक विज्ञात,अभिषेक योगी,विनोद कुमार हँसौड़ा,नरेन्द्र पाल जैन,नरेन्द्र डग्गा ने अपनी कविताओं का पाठ किया।अनन्त अधिकारी और किरण थापा ने नेपाली भाषा में सम्बोधित करते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया।अध्यक्ष की अनुमति से देसरे दिन के कार्यक्रम के समापन की घोषणा हुई।
अध्यक्षता कर रही थी नेपाल की कवयित्री निर्मला दहाड़।
जिलाधिकारी किरण थापा और अभिनय कुमार सिंह,पुलिस अधीक्षक अनन्त अधिकारी,अधिवक्ता अनन्त अधिकारी, कुँवर प्रभा सिंह, लता सिन्हा ज्योतिर्मय , अनिता रानी भारद्वाज आदि मंचस्थ थे।कुँवर प्रभा सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया।मंच संचालन विनोद कुमार हँसौड़ा कर रहे थे।
इस सत्र की शुरुआत भी कैलाश झा किंकर ने अपनी सरस्वती वन्दना से की।फिर नेपाल और भारत के राष्ट्रगान को गाया गया और अधिकारियों ने दीप प्रज्वलन करके पंचम सत्र का उद्घाटन किया।बाबा बैद्यनाथ झा ने नेपाल-भारत की मैत्री पर केन्द्रित रचना का सस्वर पाठ किया।अनिता रानी भारद्वाज ,फिरोज खान फतेहपुरी,लता सिन्हा भारद्वाज, शकुन्तला शिन्दे,सुधीर सिंह सुधाकर, संजय कौशिक विज्ञात,अभिषेक योगी,विनोद कुमार हँसौड़ा,नरेन्द्र पाल जैन,नरेन्द्र डग्गा ने अपनी कविताओं का पाठ किया।अनन्त अधिकारी और किरण थापा ने नेपाली भाषा में सम्बोधित करते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया।अध्यक्ष की अनुमति से देसरे दिन के कार्यक्रम के समापन की घोषणा हुई।
तृतीय दिवस (08:03:2019)
आज विश्व महिला दिवस पर रौतहट,नेपाल में मगसम के द्वारा "एक शाम माँ के नाम" का आयोजन हुआ जिसकी अध्यक्षता श्रीमती हीरा झा ने की और मंच संचालन मगसम के राष्ट्रीय संयोजक सुधीर सिंह सुधाकर ने किया।इसमें माँ पर केन्द्रित मगसम की कविताओं का कवितापाठ करने वालों में सुधीर सिंह सुधाकर(वाराणसी),कैलाश झा किंकर(बिहार),विनोद कुमार हँसौड़ा(बिहार), बाबा बैद्यनाथ झा (बिहार),भीम प्रजापति देवरिया(उत्तरप्रदेश),राम प्रसाद भारत(हरियाणा),कर्मेश सिन्हा(दिल्ली),अशोक चौधरी(नेपाल)
आठ मार्च को आठ बजे आठ कवियों ने माँ पर केन्द्रित आठ कविताएं पढ़ी गयीं।
आज विश्व महिला दिवस पर रौतहट,नेपाल में मगसम के द्वारा "एक शाम माँ के नाम" का आयोजन हुआ जिसकी अध्यक्षता श्रीमती हीरा झा ने की और मंच संचालन मगसम के राष्ट्रीय संयोजक सुधीर सिंह सुधाकर ने किया।इसमें माँ पर केन्द्रित मगसम की कविताओं का कवितापाठ करने वालों में सुधीर सिंह सुधाकर(वाराणसी),कैलाश झा किंकर(बिहार),विनोद कुमार हँसौड़ा(बिहार), बाबा बैद्यनाथ झा (बिहार),भीम प्रजापति देवरिया(उत्तरप्रदेश),राम प्रसाद भारत(हरियाणा),कर्मेश सिन्हा(दिल्ली),अशोक चौधरी(नेपाल)
आठ मार्च को आठ बजे आठ कवियों ने माँ पर केन्द्रित आठ कविताएं पढ़ी गयीं।
नेपाल भारत मैत्री वीरांगना फाउण्डेशन काठमांडो, रौतहट,राम दुलारी शिव समाज केन्द्र रौतहट और भारतीय राज दूतावास, काठमांडो के 109 वाँ विश्व नारी दिवस के अवसर पर तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय महाकुम्भ, कवि महोत्सव एवम् 7 वाँ सोशल मीडिया सम्मान समारोह ,सास्कृतिक कार्यक्रम दिनांक 6,7,8 मार्च 2019 के आयोजन का आज तीसरा और अन्तिम दिन है।विश्व महिला दिवस पर आज सभी साहित्यकार ,कवि- कवयित्रियाँ और छात्र-छात्राओं ने नेपाल और भारत के राष्ट्रीय ध्वज के साथ प्रभातफेरी करते हुए,नारा लगाते हुए भारत-नेपाल सीमा बैरगनिया तक गये।
भारत नेपाल मैत्री जिन्दाबाद
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
भ्रूण हत्या बन्द करो
भारत माता की जय
नेपाल भूमि की जय
दहेज लेना पाप है
स्वच्छ भारत स्वच्छ नेपाल
शराब पीना बन्द करो
जय साहित्य जय संस्कृति
जय मिथिला जय मधेश
आदि नारों से गुंजायमान धरती और आकाश आह्लादित होकर प्रेम,बंधुत्व और भाईचारे के संदेश दे रहे थे।
मुख्य मंच पर भोजनोपरांत सम्मान समारोह आरम्भ हुआ।भारत और नेपाल के लहराते हुए झंडों के सम्मान में नेपाल और भारत के राष्ट् गान गाए गये।अमर शहीदों को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गयी ।
सम्मान समारोह की अध्यक्षता कुँवर प्रभा सिंह ने की।मुख्य अतिथि थी राज्यमंत्री डा0 डिम्पल कुमारी झा और विशिष्ट अतिथि जैबा रशीद मंचस्थ थी।
मंचस्थ अतिथियों का स्वागत सत्कार हुआ।
मंचस्थ अतिथियों ने दीप प्रज्वलन करके कार्यक्रम का उद्घाटन किया।अनिता रानी भार्द्वाज ने सरस्वती से सम्मान समारोह की शुरूआत की -"वागेश्वरी बूंदो------")मगसम के सुधीर सिंह सुधाकर,बाबा बैद्यनाथ झा,कैलाश झा किंकर, विनोद कुमार हँसौड़ा समेत सात सदस्यों की ओर से कुँवर प्रभा सिंह जी को प्रतीक चिह्न से सम्मानित किया गया।राज्यमंत्री डिम्पल कुमारी झा और जैबा रशीद को भी सम्मानित किया गया।आराध्या की नृत्य प्रस्तुति से दर्शक मंत्रमुग्ध हुए।
नरेन्द्र पाल जैन की किताब सुनो--रहने दो ,जैबा रशीद की किताब "बाबरे मन का फरेब " ,बसंत परमार की पुस्तक नन्हें एहसास और लीला दीवान की किताब "रूठ कर बैठी हूँ" का लोकार्पण राज्यमंत्री डा0 डिम्पल कुमारी झा के कर कमलों से हुआ।
राज्यमंत्री डा0 डिम्पल कुमारी झा के कर कमलों से सभी कवियों/कवयित्रियों को सम्मान पत्र और प्रतीक चिह्न से सम्मानित किया गया।कविता पाठ भी हुआ।हर्षोल्लास के वातावरण में बसंतोत्सव मना कर नेपाल-भारत के स्नेहिल संम्बन्ध की प्रगाढ़ता का संदेश दिया गया।
विश्व महिला दिवस पर कैलाश झा किंकर ने अपनी प्रस्तुति में कहा-
इतना तो पता है कि ये दूरी न रहेगी
हक़ की ये कहानी भी अधूरी न रहेगी
दुल्हन को तिलक देंगे ये दुल्हे के पिताजी
आँसू के समन्दर में ये नूरी न रहेगी ।
अध्यक्षीय उद्गार के साथ कुँवर प्रभा सिंह ने आए हुए कवियों/साहित्यकारों/पत्रकारों और दर्शकों के प्रति आभार प्रकट करते हुए कार्यक्रम के समापन की घोषणा की।
भारत नेपाल मैत्री जिन्दाबाद
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
भ्रूण हत्या बन्द करो
भारत माता की जय
नेपाल भूमि की जय
दहेज लेना पाप है
स्वच्छ भारत स्वच्छ नेपाल
शराब पीना बन्द करो
जय साहित्य जय संस्कृति
जय मिथिला जय मधेश
आदि नारों से गुंजायमान धरती और आकाश आह्लादित होकर प्रेम,बंधुत्व और भाईचारे के संदेश दे रहे थे।
मुख्य मंच पर भोजनोपरांत सम्मान समारोह आरम्भ हुआ।भारत और नेपाल के लहराते हुए झंडों के सम्मान में नेपाल और भारत के राष्ट् गान गाए गये।अमर शहीदों को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गयी ।
सम्मान समारोह की अध्यक्षता कुँवर प्रभा सिंह ने की।मुख्य अतिथि थी राज्यमंत्री डा0 डिम्पल कुमारी झा और विशिष्ट अतिथि जैबा रशीद मंचस्थ थी।
मंचस्थ अतिथियों का स्वागत सत्कार हुआ।
मंचस्थ अतिथियों ने दीप प्रज्वलन करके कार्यक्रम का उद्घाटन किया।अनिता रानी भार्द्वाज ने सरस्वती से सम्मान समारोह की शुरूआत की -"वागेश्वरी बूंदो------")मगसम के सुधीर सिंह सुधाकर,बाबा बैद्यनाथ झा,कैलाश झा किंकर, विनोद कुमार हँसौड़ा समेत सात सदस्यों की ओर से कुँवर प्रभा सिंह जी को प्रतीक चिह्न से सम्मानित किया गया।राज्यमंत्री डिम्पल कुमारी झा और जैबा रशीद को भी सम्मानित किया गया।आराध्या की नृत्य प्रस्तुति से दर्शक मंत्रमुग्ध हुए।
नरेन्द्र पाल जैन की किताब सुनो--रहने दो ,जैबा रशीद की किताब "बाबरे मन का फरेब " ,बसंत परमार की पुस्तक नन्हें एहसास और लीला दीवान की किताब "रूठ कर बैठी हूँ" का लोकार्पण राज्यमंत्री डा0 डिम्पल कुमारी झा के कर कमलों से हुआ।
राज्यमंत्री डा0 डिम्पल कुमारी झा के कर कमलों से सभी कवियों/कवयित्रियों को सम्मान पत्र और प्रतीक चिह्न से सम्मानित किया गया।कविता पाठ भी हुआ।हर्षोल्लास के वातावरण में बसंतोत्सव मना कर नेपाल-भारत के स्नेहिल संम्बन्ध की प्रगाढ़ता का संदेश दिया गया।
विश्व महिला दिवस पर कैलाश झा किंकर ने अपनी प्रस्तुति में कहा-
इतना तो पता है कि ये दूरी न रहेगी
हक़ की ये कहानी भी अधूरी न रहेगी
दुल्हन को तिलक देंगे ये दुल्हे के पिताजी
आँसू के समन्दर में ये नूरी न रहेगी ।
अध्यक्षीय उद्गार के साथ कुँवर प्रभा सिंह ने आए हुए कवियों/साहित्यकारों/पत्रकारों और दर्शकों के प्रति आभार प्रकट करते हुए कार्यक्रम के समापन की घोषणा की।
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