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संस्कृत, पाली, प्राकृत, हिंदी आरू अंगिका केरऽ शीर्षस्थ साहित्यकार ९३ बर्षीय आचार्यश्रीरंजन सूरिदेव केरऽ देहावसान | News in Angika

पटना। ११ नवंबर,२०१८ । संस्कृत,पाली, प्राकृत, हिंदी आरू अंगिका केरऽ शीर्षस्थ साहित्यकार आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव केरऽ निधन होय गेलऽ छै । ७० बरसऽ स॑ निरंतर साहित्य-साधना म॑ रत ९३ बर्षीय आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव केरऽ निधन संदलपुर, महेन्द्रू, पटना स्थित हुनकऽ आवास शुभैषणा  प॑ आय भोरंरिंयां साढ़े पाँच बजे होलै ।

आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव केरऽ पार्थिव शरीर क॑ अंतिम दर्शन लेली पटना स्थित हिंदी साहित्य सम्मेलन भवन म॑ दुपहर २ बजे लानलऽ जैतै । हुनकऽ दाह संस्कार पटना केरऽ गुलबी घाट प॑ करलऽ जैतै ।
आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव केरऽ निधन प॑ श्री लालजी टंडन, महामहिम राज्यपाल,बिहार न॑ गहरऽ शोक व संवेदना व्यक्त करल॑ छै । राज्यपाल सचिवालय,बिहार द्वारा जारी शोक-संवेदना संदेश म॑ कहलऽ गेलऽ छै कि साहित्य केरऽ समस्त विधा म॑ आपनऽ भावपूर्ण आरू वैचारिक लेखन के माध्यम स॑ स्व. सूरिदेव जी न॑ मानव-समाज को स्वस्थ दिशा और दृष्टि प्रदान की । आपनऽ सांस्कृतिक व राष्ट्रवादी चिंतनपरक साहित्यिक अवदान स॑ हुनी भारतीय वांङ्मय क॑ समृद्ध बनैलकै । हुनकऽ निधन स॑ भारतीय साहित्य क॑ अपूरणीय क्षति होलऽ छै ।


आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव केरऽ जन्म २८ अक्तूबर १९२६ क॑ अंग-क्षेत्र केरऽ दुमका जिला केरऽ शुम्भेश्वरनाथ धौनी गांव म॑ होलऽ रहै । हुनकऽ मूल नाँव राम कुमार पाठक रहै । हुनी मूलतः आचार्य कुल केरऽ व्यक्ति छेलै ।  हुनी हिंदी, संस्कृत, आरू प्राकृत जैन-शास्त्र म॑ एम.ए. करल॑ छेलै । हुनकऽ साहित्य जीवन केरऽ प्रारंभ १९४५ ई. म॑ होलै । हुनकऽ पहलऽ प्रकाशित रचना 'मंदार पर्व' नामक निबंध छेलै जे कि आचार्य शिवपूजन सहाय द्वारा संपादित  मासिक पत्रिका 'बालक' म॑ प्रकाशित होलऽ छेलै ।
श्रीरंजन सूरिदेव केरऽ रचना शास्त्रीय प्रवृति केरऽ होय छेलै ।  तत्सम शब्दऽ के उपयोग करै म॑ आरू नयऽ-नयऽ शब्द गढ़ै म॑ हुनका महारथ हासिल छेलै ।  अंग देश केरऽ सपूत आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव न॑ एगो संत ऐसनऽ साहित्य केरऽ आध्यात्मिक साधना करलकै । ७० वर्षों स॑ अधिक समय सें निरंतर साहित्य–साधना में लीन रहै वाला, संपूर्ण भारत–वर्ष में अखनी कोय आरू नै छेलै । दू माह पूर्व तलक उनकऽ साहित्यिक सक्रियता बनलऽ छेलै । हुनी प्रतिदिन कुछ न कुछ लिखतें रहै छेलै । संस्कृत, प्राकृत,पाली, हिंदी आरू अंगिका के ई विश्रुत विद्वान न॑ अपनऽ दीर्घ–क़ालीन तप, साधना आरू विपुल लेखन स॑ साहित्य–निधि क॑ अत्यंत समृद्ध करलकै । हुनी एगो बहुभाषाविद विद्वान छेलै । हुनी भारतीय सभ्यता,संस्कृति आरू साहित्य केरऽ उन्नयन म॑ अपनऽ लेखनी के माध्यम सें अमूल्य कार्य करलकै। हुनी एगो विलक्षण साहित्यिक प्रतिभा के महापुरुष आरू साहित्य के धरोहर छेलै । हुनी साहित्यिक समालोचना आरू संपादन म॑ एगो नया शैली विकसित करलकै ।
आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव केरऽ पटना केरऽ एगो निजी अस्पताल म॑ इलाज चली रहलऽ छेलै  आरू विगत २५ अक्टूबर स॑ अस्पताल म॑ भर्ती रहै। हुनी कुछ महीना सें किडनी के समस्या स॑ पीड़ित रहै। महीना दिन पूर्व भी हुनका हृदय म॑ पीड़ा के शिकायत प॑ अस्पताल पहुँचैलऽ गेलऽ छेलै । तब॑ सें हुनी बिस्तर पर ही छेलै । अभी हाल ही म॑ गत २८ अक्तूबर क॑ बिहार के राज्यपाल श्री लालजी टंडन न॑ अस्पताल म॑ भर्ती आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव क॑ अस्पताल जाय करी क॑ सम्मानित करल॑ छेलै आरू हुनका जन्मदिन के बधाई देन॑ छेलै । इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली द्वारा स्थानीय तारामंडल सभागार में ''संस्कृति से संवाद ''श्रृंखला केरऽ १०वां संस्करण के रूप म॑ संस्कृत, हिंदी एवं प्राकृतिक -पाली, अंगिका केरऽ प्रकांड विद्वान आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव केरऽ सम्मान म॑ आयोजित समारोह क॑ संबोधित करला के बाद राज्यपाल न॑ राजधानी पटना केरऽ कंकड़बाग स्थित साई हॉस्पिटल में भर्ती व गंभीर रूप स॑ बीमार श्रीरंजन सूरिदेव क॑ अंगवस्त्रम व प्रतीक चिन्ह द॑ करी क॑ सम्मानित करल॑ छेलै ।

कुछ ही दिन पहिन॑ आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव केरऽ शीघ्र स्वास्थ्य–लाभ के लेली,बिहार हिंदी सम्मेलन सभागार म॑ मंगल–कामना–सभा आयोजित करलऽ गेलऽ रहै । ९२वाँ जन्म–दिवस पर आयोजित ई सारस्वत–सभा में साहित्यकार सिनी न॑ उनका प्रति मंगल भाव व्यक्त करतें हुअ॑,उनकऽ शीघ्र स्वस्थ होय के तथा शतायु होय के कामना करन॑ छेलै ।
अंगिका.कॉम केरऽ संस्थापक आरू अखिल भारतीय अंग-अंगिका विकास मंच केरऽ संस्थापक महासचिव व अंगिका संवाद केरऽ संचालक, कुंदन अमिताभ न॑ हुनका श्रद्धाजलि अर्पित करतें हुअ॑  कहल॑ छै कि लेखनी आरू बोली दोनऽ में ही मधुरता धारै वाला संस्कृत,पाली, प्राकृत, हिंदी आरू अंगिका के विद्वान आचार्य डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव केरऽ निधन स॑ अंग देश आरू अंगिका क॑ गहरऽ आरू अपूरणीय क्षति होलऽ छै । सौसे साहित्यिक जगत मर्माहत छै । हुनी भगवान स॑ प्रार्थना करल॑ छै कि उनकऽ आत्मा क॑ शांति प्रदान कर॑ आरू उनकऽ परिजनऽ क॑ दु:ख केरऽ ई घड़ी म॑ जीवन केरऽ हौसला प्रदान कर॑ ।

वरिष्ठ अंगिका साहित्यकार डॉ.अमरेंद्र न॑ हुनकऽ निधन क॑ अंगिका लेली अपूरणीय क्षति बतैल॑ छै। हुनी कहलकै कि श्रीरंजन सूरिदेव न॑ ऐसनऽ सब लेख लिखलकै, जेकरा म॑ प्राचीन अंग महाजनपद केरऽ संस्कृति-समाज के झलक दिखै छै । अपनऽ मातृभाषा अंगिका म॑ हुनी कविता सब के रचना भी करलकै  आरू अंगिका केरऽ प्रमुख कृतियऽ सिनी प॑ खुली क॑ समीक्षा भी करलकै । हुनी अंगिका भाषा केरऽ प्रतिष्ठा लेली  हमेशा सजग रहलै ।
बिहार अंगिका अकादमी केरऽ अध्यक्ष डॉ. लखनलाल सिंह आरोही न॑ डा श्रीरंजन सूरीदेव क॑ अंग सपूत बतैत॑ हुनकऽ निधन प॑ गहरा हार्दिक शोक -संवेदना व्यक्त करल॑ छै आरू उनकऽ शोक-संतप्त परिवार के प्रति भाव -विह्वल सहानुभूति प्रकट करल॑ छै । हुनी कहलकै कि उनकऽ निधन सें हिंदी साहित्य केरऽ अपूरणीय क्षति होलऽ छै । अपनऽ मातृभाषा अंगिका के प्रति हुनका गहरा प्रेम छेलै । हुनकऽ अनुसार श्रीरंजन सूरीदेव के निधन स॑ हुनकऽ एगो सच्चा मित्र हेराय गेलै । डा. सूरिदेव जी एगो अत्यंत संवेदनशील साहित्यकार छेलै । हुनी कहलकै कि अंग जनपद अपनऽ एगो विभूति खोय क॑ श्रीहीन होय गेलऽ छै ।
वरिष्ठ अंगिका साहित्यकार व पुरातत्वविद् पंडित अनूप कुमार बाजपेयी न॑ कहल॑ छै कि अंगदेश केरऽ ई विभूति न॑ राष्ट्रीय स्तर पर साहित्य जगत म॑ अपनऽ एगो अलग पहचान बनैलकै ।

प्रशांत सिन्हा न॑ हुनकऽ निधन क॑ एगो युग के अन्त बतैलकै । हुनी कहलकै कि प्राकृत आरू पाली केरऽ शीर्षस्थ साहित्यकार केरऽ जाना दुःखद छै । हुनकऽ जाना संथाल-अंग प्रक्षेत्र केरऽ अपूरणीय क्षति छेकै। हुनी भगवान भास्कर सें उनकऽ आत्मा क॑ शांति प्रदान करै के कामना करन॑ छै ।
हुनकऽ निधन प॑ शोक व श्रद्धांजलि व्यक्त करै वाला अंगिका साहित्यकार म॑ शामिल छै - डाॅ. वांछा भट्ट अंजन, डॉ. लखनलाल सिंह आरोही, डॉ.अमरेंद्र, पंडित अनूप कुमार बाजपेयी, प्रशांत सिन्हा, विभुरंजन जयसवाल, रमेंद्र नारायण दूबे, शिवनंदन सलिल, रंजीत कुमार सिन्हा, पारस कुंज, विप्लव चौधरी, आभा पूर्वे, प्रसून लतांत, अनिमेश वत्स,सितेश भारती, अभय कुमार अकेला, सुधीर प्रोग्रामर, दुर्गेश अग्निहोत्री, मेधा पांडेय, सुशील मिश्रा, साकेत सुमन, धनंजय चंद्रवंशी, नरेश जनप्रिय, कुंदन झा,मनोज मीता, आर.प्रवेश, अंजनी कुमार शर्मा,नवीन चंद्र ठाकुर, सुरेंद्र झा, शशिधर मेहता, सुजाता कुमारी, शिवनारायण, कुंदन अमिताभ आदि ।

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