गीढ़ऽ
— कुंदन अमिताभ —
खोली ल॑ गीढ़ऽ
तभिये तरान छौं ।
खोलै छहो किताब
त॑ गीढ़ऽ खोलऽ
चलाबै छहो जुबान
त॑ गीढ़ऽ खोलऽ ।
चलाबै छहो कलम
त॑ गीढ़ऽ खोलऽ
खंगारै छहो मऽन
त॑ गीढ़ऽ खोलऽ ।
खोलऽ हवा
खोलऽ पानी
खोलऽ रौदा
खोलऽ चाँदनी ।
खोलऽ धरती
खोलऽ सरंग
सब छै तंग
छेड़ऽ जंग ।
नै अब॑ चिढऽ
खोली ल॑ गीढ़ऽ ।
Angika Poetry : Gidhow
Poetry from Angika Poetry Book : Dhamas (धमस)
Poet : Kundan Amitabh